तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने बंगालियों का उल्लेख करते हुए बांग्लादेशी भाषा शब्द का इस्तेमाल करने को लेकर रविवार (3 अगस्त, 2025) को दिल्ली पुलिस की आलोचना की और कहा कि यह संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषा की पहचान को छीनने और लाखों बांग्ला भाषी भारतीयों को बाहरी के रूप में चित्रित करने का आधिकारिक प्रयास है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, तृणमूल कांग्रेस ने लोधी कॉलोनी थाने के एक निरीक्षक की ओर से नई दिल्ली में बंग भवन के प्रभारी अधिकारी को लिखे गए पत्र की एक प्रति साझा की, जिसमें बांग्लादेशी भाषा के लिए अनुवादक का अनुरोध किया गया है.
दिल्ली पुलिस ने भाषा अनुवादक के लिए की थी मांग
पत्र में कहा गया, “जांच के दौरान आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनके बांग्लादेशी नागरिक होने का प्रबल संदेह था और जो बिना किसी वैध पासपोर्ट या वीजा के भारत में अवैध रूप से रह रहे थे. संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों के पास से राष्ट्रीय पहचान पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, बैंक खाते के विवरण आदि की प्रतियां मिलीं.”
निरीक्षक ने दावा किया कि पहचान दस्तावेजों में बांग्लादेशी भाषा में लिखे गए पाठ हैं, जिनका हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद किया जाना आवश्यक है. उन्होंने बांग्लादेशी राष्ट्रीय भाषा में कुशल आधिकारिक अनुवादक/दुभाषिया उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.
टीएमसी ने केंद्रीय गृह मंत्री पर लगाया आरोप
TMC ने एक्स पर पोस्ट में कहा, ‘‘क्या बंगालियों के प्रति भाजपा की नफरत की कोई सीमा नहीं है? भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी श्रमिकों को बार-बार परेशान करने और हिरासत में लेने के बाद, अमित शाह (केंद्रीय गृह मंत्री) की दिल्ली पुलिस ने अब हमारी मातृभाषा बांग्ला को आधिकारिक तौर पर बांग्लादेशी भाषा बताकर सारी हदें पार कर दी हैं.’’
For months now, Bengali-speaking people have been targeted, harassed and detained across BJP-ruled states. Now, in a shocking escalation, @DelhiPolice has officially referred to Bangla, as a “Bangladeshi language” in an official letter.This is not a mere clerical error, It is… pic.twitter.com/I87DsH6v52
— Abhishek Banerjee (@abhishekaitc) August 3, 2025
TMC ने कहा, ‘‘कोई गलती नहीं, यह कोई लिपिकीय त्रुटि नहीं है. यह एक सोचा-समझा अपमान है, संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त एक भारतीय भाषा की पहचान छीनने और लाखों बांग्ला भाषी भारतीयों को अपने ही देश में बाहरी के रूप में चित्रित करने का एक आधिकारिक प्रयास है.’’
भाकपा माले लिबरेशन के महासचिव ने की दिल्ली पुलिस की आचोलना
वहीं, भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने भी दिल्ली पुलिस की आलोचना की और कहा, ‘‘बांग्ला भाषी प्रवासी श्रमिकों को संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक के रूप में प्रताड़ित करना, अब भारत की दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा को बांग्लादेशी भाषा के रूप में पूरी तरह से नकारना है.’’
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