आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की पीड़िता के पिता ने रविवार को आरोप लगाया कि पुलिस लाठीचार्ज में घायल उनकी पत्नी को निजी अस्पताल में भर्ती से मना कर दिया गया. उनका कहना है कि अस्पताल पर राज्य सरकार ने दबाव बनाया, जिसके कारण उनकी पत्नी को इलाज के लिए भर्ती नहीं किया गया.
डॉक्टर की सलाह के बाद भी भर्ती नहींपीड़िता के पिता के अनुसार, शनिवार शाम को डॉक्टर ने उनकी पत्नी को भर्ती करने की सलाह दी थी और कहा था कि कम से कम दो दिन अस्पताल में रहना जरूरी है. लेकिन डॉक्टर के जाने के बाद अस्पताल का रवैया अचानक बदल गया. स्टाफ ने बहाने बनाने शुरू कर दिए और कहा कि सरकारी दबाव के कारण भर्ती नहीं किया जा सकता.जब पिता ने डॉक्टर से संपर्क किया तो डॉक्टर ने विस्तार से बात करने से इनकार किया, लेकिन भरोसा दिलाया कि दी गई दवाएं इलाज के लिए पर्याप्त होंगी.
लाठीचार्ज में लगी चोटेंपीड़िता की मां को शनिवार को माथे, हाथ और पीठ में चोटें आईं. उन्हें CT स्कैन और अन्य टेस्ट कराए गए. उन्होंने आरोप लगाया कि नबन्ना मार्च के दौरान, जो उनकी बेटी के रेप-हत्या की पहली बरसी पर आयोजित किया गया था, महिला पुलिस ने उन्हें पीटा. घटना पार्क स्ट्रीट क्रॉसिंग पर हुई, जहां प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़कर विद्यासागर सेतु होते हुए नबन्ना जाने की कोशिश कर रहे थे. मां का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें जमीन पर गिरा दिया, उनकी शंखा (पारंपरिक चूड़ी) तोड़ दी और माथे पर चोट पहुंचाई. उनका कहना है कि 4-5 पुलिसकर्मियों ने उन्हें मारा.पुलिस का इनकार, पिता के आरोपपुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि पीड़िता के माता-पिता पर कोई बल प्रयोग नहीं किया गया. वहीं, पीड़िता के पिता का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें और उनके परिवार को मार्च में शामिल होने से रोकने की कोशिश की, जबकि कोर्ट ने शांतिपूर्ण रैली की अनुमति दी थी.
‘बंगाल सरकार ने दबाव डालकर पत्नी का इलाज रुकवाया’- आरजी कर पीड़िता के पिता का आरोप
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