बचपन में ही पता लग जाएगा कि जवानी में मोटापा आएगा या नहीं? यह तकनीक खोलेगी राज

by Carbonmedia
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यह जानना कि बच्चा बड़ा होकर मोटा होगा या नहीं, अब मुश्किल नहीं. हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि 6 साल की उम्र में ही इसका पता लगाया जा सकता है. डच वैज्ञानिकों के अनुसार, पहले पांच साल बच्चे के स्वस्थ जीवन के लिए सबसे अहम होते हैं. 3,500 से अधिक बच्चों के रिकॉर्ड खंगालने पर पाया गया कि अगर 6 साल की उम्र में बॉडी मास इंडेक्स में सिर्फ एक यूनिट की भी बढ़ोतरी होती है, तो 18 साल की उम्र तक मोटापे या अधिक वजन का खतरा दो गुना से ज्यादा हो जाता है. रिसर्चर्स जोर देते हैं कि बचपन में ही ऐसी नीतियां बननी चाहिए, जिनसे बच्चों में मोटापा न बढ़े. 
कितना खतरनाक होता है मोटापा?
गाजियाबाद में पीडियाट्रिशियन डॉ. आशीष प्रकाश बताते हैं कि मोटापा एक साइलेंट किलर है, जो ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है. कई स्टडीज में पाया गया है कि बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है. करीब आधा बच्चे समय से पहले ज्यादा वजन के शिकार हो जाते हैं. यूरोपीय कांग्रेस ऑन ओब्सिटी में पेश एक अलग रिसर्च में बताया गया कि पिछले 15 वर्षों में किशोरों में मोटापे की दर 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है. इसमें पाया गया है कि बच्चों में मोटापा के लिए अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स और खराब जीवनशैली सबसे बड़े जिम्मेदार कारक हैं. ऐसे में जरूरी है कि बचपन में ही पता चल जाए कि जवानी में मोटापा आएगा या नहीं. विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में हो रही नई तकनीकों और अध्ययनों से यह बात सामने आई है. 
बचपन में मोटापे का अनुमान बताने वाली तकनीक
हाल ही में, वैज्ञानिकों ने जेनेटिक टेस्ट (पॉलीजेनिक रिस्क स्कोर) विकसित किया है , जो पांच-छह साल की उम्र तक यह बता सकता है कि बच्चे को वयस्कता में मोटापा होने का कितना खतरा है.  यह टेस्ट डीएनए से प्राप्त जेनेटिक डाटा का विश्लेषण करता है और उन हजारों जेनेटिक वैरिएंट्स को पहचानता है, जो मोटापे के जोखिम को बढ़ाते हैं. 
यह कैसे काम करता है?

जेनेटिक फैक्टर्स: यदि माता-पिता मोटे हैं, तो बच्चों में भी मोटापे का खतरा अधिक होता है. नए जेनेटिक टेस्ट इसी आनुवंशिक प्रवृत्ति को समझने में मदद करते हैं. 
बॉडी मास इंडेक्स: बच्चों में बीएमआई की गणना उनकी उम्र और लिंग के अनुसार की जाती है. दो साल या उससे अधिक उम्र के बच्चों में बीएमआई का 95वें परसेंटाइल से अधिक होना मोटापे का संकेत माना जाता है. हालांकि, केवल बीएमआई वर्तमान मोटापे का संकेत देता है, भविष्य के मोटापे का नहीं.
मशीन लर्निंग: एआई और मशीन लर्निंग मॉडल बचपन के मोटापे की भविष्यवाणी में सटीकता बढ़ाते हैं. ये मॉडल बच्चे के जन्म के समय के बीएमआई गर्भकालीन आयु और विभिन्न क्लिनिकल विजिट  से प्राप्त बीएमआई जैसे बुनियादी डाटा का उपयोग करके पांच साल की उम्र तक बच्चे की मोटापे की श्रेणी का अनुमान लगा सकते हैं.

इस तकनीक का महत्व
इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह कम उम्र में ही उन बच्चों की पहचान करने में मदद करती है, जिन्हें जेनेटिकली मोटापे का अधिक खतरा है. इससे माता-पिता और हेल्थ प्रोफेशनल्स को कम उम्र में ही जीवनशैली में हस्तक्षेप करने का अवसर मिलता है, जिससे भविष्य में मोटापे और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जा सके. यह तकनीक निश्चित रूप से भविष्य में मोटापे के जोखिम को बचपन में ही पहचानने का राज खोल सकती है. यह शुरुआती हस्तक्षेप और रोकथाम के लिए एक शक्तिशाली उपकरण साबित हो सकती है, जिससे बच्चों को स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलेगी.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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