बरसात के मौसम में शहर के कई पार्कों में रखरखाव न होने से पार्को में घास उगने लगी जिससे वाहन सैर करने वाले बुजुर्ग और खेलने के लिए आने वाले बच्चे परेशान हैं। कई जगह तो घास इतनी बड़ी हो गई है कि लोगों ने सैर के लिए आना भी बंद कर दिया है। मजबूरी में लोग सड़कों पर सैर करने को मजबूर हैं। इंडस्ट्रियल एरिया, चौगिट्टी पार्क सहित ने जगह हालात खराब हैं। यहां घास में मच्छर पनपने लगे हैं। सिटी में निगम के 450 से अधिक पार्क हैं। इन पार्कों की देखभाल के लिए निगम ने सोसायटियों से एग्रीमेंट किया है। इसमें सोसाइटियों को 2.50 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से हरियाली का भुगतान किया जाता है। सिटी के लगभग 350 से अधिक पार्कों की देखभाल का जिम्मा सोसायटियों के पास ही बना है, और बाकी पार्कों की देखभाल की जिम्मेदारी निगम की है, लेकिन देखने में आता है कि जिन पार्कों की देखभाल सोसाइटी करती है, वहां तो हरियाली व सफाई नियमित होता है, लेकिन जिन पार्कों की देखरेख निगम के हाथों में होती है, उनकी स्थिति नाजुक बनी है। इसकी वजह है कि निगम में मालियों की कमी होने से पार्कों की देखभाल ठीक से नहीं होती है। ऐसे में बारिश होने पर पार्कों में पानी जमा हो जाता है और घास उगी हैं। समाधान . पार्कों में जल संचय के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने चाहिए निगम को पार्कों में जल संचय के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने चाहिए। वैसे भी एनजीटी की गाइडलाइन है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए जाएं। साथ ही जिन पार्क में पानी जमा है, वहां पर मोटर से पानी की निकासी का प्रबंध किया जाए और जहां भी पानी जमा है, वहां एंटी लारवा दवा का स्प्रे भी किया जाए। एंटी लारवा दवा का स्प्रे होने से पार्कों में मच्छर भी पैदा नहीं होगा। लोग भी सड़क की जगह पार्क में सैर करेंगे। निगम के पार्कों में घास बागबानी शाखा से कटवाएंगे, सोसायटियों से मीटिंग होगी ^पार्कों की मेंटेनेंस का काम देखने वाली सोसायटियों के साथ मीटिंग की जाएगी। इस मीटिंग में पार्क के रखरखाव के साथ सोसाइटी की घास की कटिंग की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। साथ ही निगम के पार्कों में घास बागबानी शाखा से कटवाई जाएगी। बलबीर सिंह बिट्टू , सीनियर डिप्टी मेयर, निगम
बरसात से पार्कों में उगी घास, जमा पानी में डेंगू का खतरा, लोग सड़कों पर सैर करने को मजबूर
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