Shivraj Singh Chouhan on Emergency: 25 जून, 1975, यह वो तारीख है, जिसे भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला दिन कहा जाता है. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस दिन से पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया था. 21 महीनों तक लागू रहे इमरजेंसी का यह वो दौर था जब देश के विपक्ष के बड़े-बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया गया था. इन नेताओं में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी समेत कई नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था. इस दौरान छात्रों और युवाओं को भी विरोध करने के आरोपों में जेल में बंद कर उन पर भी अत्याचार किए गए थे. वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आपातकाल के वक्त जेल जाने वाले छात्रों में शामिल थे.
बुधवार (25 जून, 2025) को आपातकाल के 50 साल पूरे होने वाले हैं. आपातकाल की हाफ सैंचुरी के एक दिन पहले मंगलवार (24 जून, 2025) को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपातकाल के दौरान जारी संघर्ष को याद किया. शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सिर्फ अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए पूरे देश को जेलखाने में तब्दील कर दिया था. इस दौरान न अपील होती थी, न वकील और न ही किसी की दलीलें सुनी जाती थीं.
मैं 16 साल का था, पुलिस मुझे घसीटते हुए लेकर गई थी- शिवराज
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “आपातकाल के दौरान मेरी उम्र 16 साल की थी. मैं 11वीं का छात्र था, लेकिन मैं जेपी आंदोलन से जुड़ा था और आपातकाल के दौरान मैंने लोगों में विश्वास जगाने के लिए पर्चों के माध्यम से इंदिरा गांधी की तानाशाह सरकार के खिलाफ आवाज उठाई थी. इसी दौरान पुलिस को मेरे बारे में पता चला तो उन्होंने गिरफ्तार कर लिया.”
मुझे बर्फ की सिल्ली पर लिटाया, रातभर मारा- शिवराज
उन्होंने कहा कि तीन दिनों के बाद मेरी परीक्षा थी, लेकिन पुलिस मुझे मारते-पीटते, गालियां देते हुए घसीटकर हबीबगंज थाने में ले गई. वहां उन्होंने मुझसे और लोगों की जानकारी मांगी, पर्चों के बारे में पूछा, जब मैंने कुछ नहीं बताया तो मेरी कोहनी और घुटनों में डंडों से मारा. इसके बाद मुझे करंट लगाने की धमकी दी. इसके बाद मुझे बर्फ की सिल्ली पर लिटाया और इसके बाद काफी रात तक मुझे मारा.
सत्ता की लालच में एक परिवार ने पूरे देश पर अमानवीय अत्याचार किए- शिवराज
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जो आज संविधान उठाकर घूमते हैं, उन्होंने आपातकाल के दौरान संविधान की धज्जियां उड़ा दी थी. लोकतंत्र को पांव तले रौंद दिया था.” उन्होंने कहा, “सत्ता के लालच में एक परिवार ने पूरे देश पर अमानवीय अत्याचार किए थे. उनकी सत्ता की लालच ऐसी थी, वे मानते थे कि हम राजा हैं और सिर्फ हम ही राज करेंगे, इसमें उनकी पार्टी का कोई दूसरा भी नहीं आ सकता था.”