बस्ती में किसानों की समस्या को लेकर सुभासपा का ‘जल सत्याग्रह’, प्रशासन के खिलाफ की नारेबाजी

by Carbonmedia
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बस्ती के भानपुर क्षेत्र में गहराते जल संकट और सूखी नहरों से बर्बाद हो रही धान की फसल को लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) कार्यकर्ताओं ने जल सत्याग्रह कर अपना विरोध दर्ज कराया है. इस प्रदर्शन में सैकड़ों किसानों और कार्यकर्ताओं ने सूखी नहर में उतरकर सरकारी तंत्र के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
सुभासपा के पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष प्रमोद चौधरी की अगुवाई में हुए इस प्रदर्शन में जिलाध्यक्ष प्रमोद चौधरी ने नहर में उतरकर किसानों की दयनीय स्थिति को उजागर किया. उन्होंने कहा कि कि बिना बारिश और सूखी नहरों के कारण धान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है, जिससे किसान बेहाल हैं.
अधिकारी नहीं सुनते किसानों की समस्या
जिला अध्यक्ष ने अधिकारियों पर आरोप लगाया कि, अधिकारी किसानों की समस्याएं सुनने को तैयार नहीं हैं. अधिकारी बेलगाम हो चुके है, एसी ऑफिस में बैठकर केवल निर्देश देना जानते है, उन्हें किसानों का दर्द नहीं पता है. सुभासपा नेता ने कहा कि, नहरों में पानी नहीं है जिस वजह से किसान अपनी फसलों को सींच नहीं पा रहा है और उनकी फसल बर्बाद हो रही है.
जल सत्याग्रह कर रहे प्रदर्शनकारियों नेताओं ने “नहर विभाग होश में आओ” जैसे नारों के साथ सरकारी तंत्र के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया. इस जल सत्याग्रह में किसानों ने मुआवजे की मांग, नहरों की तत्काल सफाई, उनके पक्कीकरण और संचालन में सुधार की मांग रखी.
आश्वासन के बाद खत्म किया धरना
जल सत्याग्रह की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन में हड़कंप मच गया. प्रदर्शन के बीच ही अधिकारियों ने सूखी नहर में पानी छोड़ना शुरू कर दिया. वहीं जल सत्याग्रह की जानकारी होते ही सहायक अभियंता विजय कुमार आर्य भी मौके पर पहुंचे. अधिकारी के आश्वासन के बाद सुभासपा ने अपना धरना स्थगित कर दिया. 
अधिकारी बोले- किसानों की मांग पर की जाएगी कार्रवाई
सरयू नहर के अधिकारी ने बताया कि नहरों में पानी भेजा जा रहा है, साफ सफाई भी समय समय पर कराई जा रही है, कहा किसानों और प्रदर्शनकारियों की जो भी मांगे है उस पर विचार कर जल्द ही कार्यवाही की जाएगी.
सुभासपा कार्यकर्ताओं ने दी बड़े प्रदर्शन की चेतावनी
इस प्रदर्शन में सुभासपा के राष्ट्रीय सचिव विनोद राजभर और जिला महासचिव रमेश चंद्र वर्मा सहित सैकड़ों किसान और कार्यकर्ता मौजूद रहे. सुभासपा ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे भविष्य में और बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

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