बाढ़ में बाहरी दुनिया से कटे हरियाणा के 2 गांव:5 फीट तक पानी से घिरे, बिजली बंद, मेडिकल सुविधा भी नहीं; प्रशासन नहीं पहुंचा

by Carbonmedia
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हरियाणा के दो गांव। एक कुरुक्षेत्र का अजमतपुर गांव और दूसरा सोनीपत का टोकी मनौली। दोनों गांवों का 3 दिन से एक तरह से बाहरी दुनिया से संपर्क कटा हुआ है। अजमतपुर के चारों तरफ से मारकंडा नदी का पानी है, वहीं टोकी मनौली यमुना के पानी से घिरा है। गांव के चारों तरफ ढाई से 4 फीट तक पानी जमा है। टोकी मनौली में तो बिजली भी ठप है। मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए दोनों जगह कोई इंतजाम नहीं हैं। सबसे बड़ी बात अभी तक प्रशासन या सरकारी मदद इन दोनों ही गांवों तक नहीं पहुंची है। गांव टोकी मनौली के बुजुर्ग तो बात करते हुए रो पड़े। बोले-इससे तो अच्छा है पूरा गांवों को शिफ्ट कर दें। वहीं अजमतपुर के ग्रामीण बताते हैं कि रिश्तेदार लगातार फोन कर जान बचाने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन अपने गांव-घरों को छोड़कर कैसे जा सकते हैं। अजमतपुर गांव के वर्तमान हालात के 2 PHOTOS… अब पढ़िये…मुगलकालीन अजमतपुर गांव में क्या हालात बने कुरुक्षेत्र के इस्माइलाबाद में मारकंडा नदी खौफनाक बनी है। यहां नेशनल हाईवे तक पानी आ चुका है। इस्माइलाबाद के मुगलकालीन अजमतपुर गांव के हालात बेहद खराब है। गांव हर तरफ पानी से घिर चुका है। गांव को दूसरे इलाकों से जोड़ने वाले दोनों रास्ते पानी ने बंद कर दिए हैं। सड़क, गलियां, खेत-खलिहान और लोगों के आंगन पानी से लबालब हैं। पंचायत से जुड़े खंजरपुर और मोहम्मद शाह गांव में इसी तरह के हालात हैं। रिश्तेदार बोल रहे जान बचाकर निकलो- मनजीत
मोहम्मद शाह गांव की रहने वाली पंच मनजीत कौर ने बताया कि उनका गांव बाहरी दुनिया से कट चुका है। आने-जाने वाला रास्ता ब्लॉक है। रिश्तेदारों के फोन आ रहे हैं कि सब छोड़कर गांव को निकल कर पहले अपनी जान बचाओ, बाकी सब तो बाद में देखा जाएगा। हमने बड़ी मुश्किल से मेहनत करके अपने घर, खेत और जमीन बनाई है। उसे छोड़कर कैसे जाए, कहां जाए और यहां से निकले कैसे? प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली- सुखदेव सिंह
पड़ोसी गांव ठसका मीरांजी निवासी सुखदेव सिंह ने बताया कि उसके खेत मोहम्मद शाह गांव की जमीन में पड़ती है। मारकंडा का पानी से फसल के साथ ट्यूबवेल (बोर) में पानी जाने से खराब हो चुके हैं। अब तक प्रशासन ने उनकी कोई सुध नहीं ली है। उनकी मांग है कि उनकी समस्या का स्थायी समाधान किया जाए। इसमें सरकार और प्रशासन का सहयोग करने के लिए तैयार है। चारा खराब हो गया, दवा-बूटी की समस्या
कुलदीप सिंह ने कहा कि गांव में मारकंडा का पानी आने से चारा खराब हो चुका है। सूखे चारे से काम चला रहे हैं। कोई मेडिकल इमरजेंसी हो जाए तो गांव से निकलना मुश्किल है। ये गांव इस्मालाबाद प्राइमरी हेल्थ सेंटर के अधीन है, वहां तक पहुंचना आसान नहीं। दवा-बूटी लाने से भी लाचार हो गए हैं। गांव में टापू जैसे हालात बन चुके हैं। रास्ते बंद होने से राशन लाने में मुश्किल हो रही है। अपनी आंखों के आगे अपनी फसल खत्म होते देख रहे हैं। इन हालात में रो-रोकर जीना पड़ रहा है। अब जानिये सोनीपत के टोकी मनौली में क्या हालत बने… करीब 3 से 4 फीट गहरे पानी से गुजरकर दैनिक भास्कर एप की टीम यूपी की सीमा से सटे गांव में पहुंची तो पता चला कि तीन दिन से बिजली सप्लाई कटी हुई है। स्कूल पर ताले लग गए हैं। गांव के लोगों का कहना है कि सब बांध तक जाकर आश्वासन देकर चले जाते हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। नम आंखों के साथ ग्रामीण केवल यही कह रहे थे कि या तो हमें गांव की दूसरी तरफ परमानेंट शिफ्ट करवा दिया जाए या फिर मौत दे दी जाए। गांव की बेटियां स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर
मिथलेश बताती है कि गांव में कई गर्भवती भी हैं। अगर इमरजेंसी हो तो कैसे जाएंगे। गांव में पांचवी और आठवीं की पढ़ाई करने के बाद बेटियां घर पर बैठ जाती हैं क्योंकि गांव में पांचवीं तक स्कूल है। उसके बाद आगे बाहर भेजने का माहौल नहीं है। दूर जाने के लिए साधनों की भी व्यवस्था नहीं है। सुनीता बताती है कि गांव में हर घर में दो से तीन बेटियां इसी प्रकार से स्कूल छोड़कर घर बैठी हैं। लोगों का शिकवा- भात में वोट मांगने वाली विधायक नहीं आईं
गांव की सुनीता कहते हैं कि गांव हाई हलके में है। एमएलए के चुनाव में कृष्णा गहलावत प्रचार करने गांव में आई थी। तब कह कर गई थी कि इस बार वोट के रूप में उसका भात भर दें और फिर गांव में हर प्रकार की सुविधा वे करके देंगी। अब गांव के हालात बुरे हैं तो कोई एक बार आकर भी नहीं देख रहा। बुजुर्ग मिथिलेश बताती हैं कि गांव में पिछले तीन दिन से लाइट नहीं है। परसों पड़ोस में एक महिला को डिलीवरी होनी थी, लेकिन सब खराब हो गया। ————————- मौसम से जुड़ी से खबर भी पढ़ें….. हरियाणा पर आफत बनकर बरस रहा मानसून:11 जिलों के 1932 गांवों में पानी भरा; 70 घर ढह चुके, पौने 5 लाख एकड़ फसल डूब चुकी हरियाणा में इस बार मानसून आफत बनकर टूट रहा है। प्रदेश से गुजरने वाली यमुना, घग्गर, मारकंडा, टांगरी, रूण, बेगना, राक्षी, सोम-पथराला नदियां उफन कर चल रही हैं। पहाड़ों पर बरसात की वजह से यमुना नदी लगातार 60 घंटे से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। 11 जिलों में 1932 से अधिक गांवों में जलभराव की नौबत आई है। 70 से ज्यादा मकान ढहने या उनमें दरारें आने की सूचना है। (पूरी खबर पढ़ें)

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