बाढ़ से निपटने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए प्रशासन ने किया मॉक ड्रिल, ये लोग रहे मौजूद

by Carbonmedia
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UP News: पड़ोसी देश नेपाल के पहाड़ों से निकलने वाली नारायणी नदी हर साल बरसात के महीने में कुशीनगर और बिहार में अपना तांडव मचाती है. नारायणी नदी कुशीनगर के खड्डा तहसील के दर्जनों गांवों से होकर तमकुहीराज तहसील के दर्जनों गांवों में अपनी तबाही मचाती है. इन गांवों में बाढ़ आपदा आने से पहले प्रशासन ने अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है. इसी बाढ़ से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए प्रशासन ने आज मॉक ड्रिल का आयोजन किया.
नारायणी नदी के छितौनी तटबंध पर एसडीआरएफ, पुलिस, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम ने मॉक ड्रिल कर लोगों को बाढ़ से बचाव का एहसास कराया. मॉक ड्रिल के दौरान पानी में फंसे लोगों को बचाने का प्रदर्शन किया गया, वहीं राहत और बचाव उपकरणों को भी मौके पर परखा गया. प्रशासन की इस कवायद का उद्देश्य यह रहा कि किसी भी आपदा की स्थिति में टीम तैयार रहे और किसी तरह की लापरवाही न हो. खड्डा के भैंसहा घाट पर बाढ़ से निपटने को लेकर यह मॉक ड्रिल की गई, जहां पर अधिकारियों ने मौके पर मौजूद संसाधनों और तैयारियों का जायजा लिया. मौके पर CO, SDM, स्वास्थ्य विभाग की टीम भी मौजूद रही.
जैसे ही नेपाल की पहाड़ियों पर भारी बारिश होती है तो उसका खामियाजा कुशीनगर के लोग भुगतते हैं. नेपाल के बाल्मीकि नगर बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है जिससे गंडक नदी का जलस्तर बढ़ जाता है. हर साल जलस्तर बढ़ते ही लगभग एक दर्जन गाँव बाढ़ के पानी से घिर जाते हैं. खड्डा तहसील के सालिकपुर, नरायनपुर, मरचहवा, शिवपुर सहित आधा दर्जन गांव के घरों में घुटनों तक पानी पहुंच जाता है. लोग सड़क किनारे ऊंची जगह पर अपना अस्थाई आशियाना बना लेते हैं. लोग सड़कों के किनारे प्लास्टिक लगाकर रहने को मजबूर हो जाते हैं.
अब बरसात शुरू होने वाली है. ऐसे में प्रशासन के हाथ पांव फूलने शुरू हो गए हैं. खड्डा तहसील के लगभग आधे दर्जन गांव नदी के उस पार दियारा क्षेत्र में बसे हैं. जहां जाने के लिए नदी पर पुल की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में जैसे ही नदी में पानी बढ़ता है इन गांवों से सड़क मार्ग का संपर्क टूट जाता है. एक नाव का ही सहारा होता है जिससे इस गांवों में जाया जा सके. 
उपजिलाधिकारी खड्डा मोहम्मद जफर ने बताया है कि उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन की तरफ से मॉक ड्रिल की कार्यवाही की जा रही है. इसमें बाढ़ के दौरान कोई बिल्डिंग गिर जाती है या कोई डूब रहा होता है तो उसमें हमारी स्वास्थ्य विभाग, पुलिस, SDRF और सभी टीम कैसे आपसे में समंवय स्थापित करके लोगों को राहत पहुंचाएगी उसी को लेकर मॉक ड्रिल आयोजित किया गया है. प्रशासन का दावा है कि बाढ़ जैसी आपदा से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली गई है, लेकिन सवाल यही है कि जब नदी का जलस्तर बढ़ेगा और वास्तविक चुनौती सामने आएगी, तब यह तैयारी कितनी कारगर साबित होगी, यह देखने वाली बात होगी.

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