बिक्रम मजीठिया: 2012 से अभी तक:भोला ने नाम उगला, चन्नी ने केस दर्ज किया; दोबारा गिरफ्तारी के बाद नशे पर फिर से राजनीति शुरू

by Carbonmedia
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पंजाब की विजिलेंस ब्यूरो ने बुधवार (25 जून) को अकाली दल के सीनियर नेता और पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया को गिरफ्तार कर लिया। उन पर आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया गया। यह भी आरोप लगाया गया कि उनकी आय से 540 करोड़ ज्यादा संपत्ति मिली है। यह कमाई उन्होंने ड्रग्स रैकेट से की है। मोहाली कोर्ट ने उन्हें 7 दिन के विजिलेंस रिमांड पर भेजा है। उस वक्त यानी साल 2007 से 2017 के बीच बिक्रम मजीठिया पंजाब की अकाली-भाजपा गठबंधन की सरकार में रेवेन्यू व लोकसंपर्क मंत्री थे। उस वक्त के डिप्टी सीएम सुखबीर बादल की सांसद पत्नी हरसिमरत कौर बादल के भाई होने की वजह से मजीठिया को बहुत ताकतवर मंत्री माना जाता था। मजीठिया को पंजाब की AAP सरकार में गिरफ्तार किए जाने के बाद उनसे जुड़ा नशे का केस फिर सुर्खियों में आ गया है। बिक्रम मजीठिया का ड्रग्स केस में पहली बार नाम कैसे आया, ED ने उनसे मंत्री रहते कैसे पूछताछ की, कांग्रेस सरकार में वह कैसे जेल गए, यह पूरी कहानी इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में पढ़िए… 2012 से लेकर अभी तक बिक्रम मजीठिया का नाम बार-बार कैसे सामने आया, इसकी पूरी टाइम लाइन- 2012: देश का सबसे बड़ा ड्रग रैकेट सामने आया
2012 में पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले में एक ऐसा ड्रग रैकेट सामने आया, जिसने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। पुलिस ने छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में सिंथेटिक ड्रग्स बरामद किए, जिनमें आईस, मेथ, और एपेड्रिन जैसे केमिकल शामिल थे। जांच में यह अनुमान लगाया गया कि यह रैकेट करीब 6000 करोड़ रुपए का था। भारत के इतिहास में उस समय का सबसे बड़ा सिंथेटिक ड्रग्स तस्करी नेटवर्क माना गया। इस मामले में जांच आगे बढ़ी तो इसमें एक बेहद चौंकाने वाला नाम सामने आया। वह पंजाब पुलिस का पूर्व डीएसपी जगदीश भोला का था। भोला पहले पहलवान और अर्जुन अवॉर्ड विजेता था, लेकिन पुलिस सेवा में रहते हुए ही वह नशा तस्करी के नेटवर्क से जुड़ गया था। 2013 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय बिक्रम मजीठिया पंजाब सरकार में राजस्व मंत्री थे और शिरोमणि अकाली दल सरकार में ताकतवर चेहरा माने जाते थे। 2014: जब भोला ने मजीठिया का नाम लिया
जगदीश भोला ने 2014 में मोहाली अदालत में पेशी के दौरान मीडिया के सामने एक सनसनीखेज बयान दिया। उसने सीधे तौर पर तत्कालीन रेवेन्यू मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया का नाम लिया। भोला ने आरोप लगाया कि मजीठिया के नशा तस्करों से संबंध हैं और ड्रग माफिया को उन्होंने राजनीतिक संरक्षण दिया। भोला ने कहा कि मजीठिया न केवल इस नेटवर्क के लोगों से व्यक्तिगत तौर पर मिले थे, बल्कि ड्रग्स से कमाए गए पैसे का हवाला के जरिए लेन-देन भी करवाते थे। भोला ने अदालत के बाहर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कई अन्य नाम भी उजागर किए, जिनमें कुछ कनाडा में बसे पंजाबियों का नाम भी शामिल था और कहा कि ये सब मजीठिया के सीधे संपर्क में थे। इनमें मनप्रीत औलख, संदीप औलख और गुरबचन कंग जैसे लोग शामिल थे, जिन्हें ड्रग फाइनेंसर और तस्कर बताया गया। ED ने मंत्री रहते मजीठिया से पूछताछ की, गिरफ्तारी न हो, दिल्ली से ED अफसर आया 2016: बोनी अजनाला का विवादित खत
मजीठिया के करीबी और अकाली दल के पूर्व विधायक बोनी अजनाला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को एक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि उनके दोस्त मनिंदर बिट्टू औलख को 2012 के ड्रग केस में जानबूझकर फंसाया गया। पत्र में अजनाला ने लिखा कि यह सब मजीठिया और सुखबीर बादल के दबाव में किया गया। इस पत्र ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी, खासकर तब जब यह आरोप पार्टी के अंदर से ऐसा पत्र लिखा गया था। 2017: पहली बार चुनावों में नशे के खिलाफ आवाज उठी
2017 विधानसभा चुनावों में पहली बार नशा पंजाब में एक मुद्दा बना। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुटका साहिब की कसम खाई और राज्य से नशा खत्म करने का वादा किया। सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, आम आदमी पार्टी ने भी मजीठिया पर आरोप लगाने शुरू किए। आम आदमी पार्टी ने तो 2017 के चुनाव प्रचार के दौरान मजीठिया को “ड्रग माफिया का राजनीतिक चेहरा” करार दिया। इसके जवाब में मजीठिया ने AAP नेताओं अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह और आशीष खेतान पर आपराधिक मानहानि का केस दायर कर दिया। हालांकि, भोला के बयान के बाद भी उस वक्त की अकाली-भाजपा सरकार ने मजीठिया के खिलाफ किसी तरह की एफआईआर दर्ज नहीं की। न ही उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया। यही कारण था कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद भी, खासकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल में, यह मुद्दा बार-बार उठता रहा कि क्यों मजीठिया के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। 2021: चरणजीत सीएम बने, मजीठिया पर हुई FIR
दिसंबर 2021 में जब चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने कांग्रेस के उस वादे को पूरा करने की दिशा में कदम उठाया, जिसमें बिक्रम सिंह मजीठिया पर कार्रवाई की बात कही गई थी। चन्नी सरकार के निर्देश पर मोहाली पुलिस ने मजीठिया के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत FIR दर्ज की। यह FIR उस समय की गई जब राज्य में चुनावी माहौल बनने लगा था और कांग्रेस पर विपक्षी दलों द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा था कि वह मजीठिया जैसे प्रभावशाली नेताओं के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। FIR में आरोप लगाया गया कि मजीठिया ने 2004 से 2015 के बीच ड्रग नेटवर्क को राजनीतिक संरक्षण दिया और कनाडा आधारित तस्करों से संबंध बनाए रखे। जांच में हवाला लेन-देन, संदिग्ध कॉल डिटेल्स और पुराने बयान शामिल किए गए। यह FIR मजीठिया के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण कानूनी कार्रवाई मानी गई क्योंकि यह सीधे अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट से उनके रिश्ते की बात करती थी। सुप्रीम कोर्ट से चुनाव लड़ने की छूट मिली
पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 से पहले बिक्रम सिंह मजीठिया को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी ताकि वह चुनाव लड़ सकें। NDPS एक्ट के तहत दर्ज गंभीर ड्रग मामले में मजीठिया के खिलाफ 20 दिसंबर 2021 को FIR दर्ज हुई थी। इसके बाद पंजाब पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी की कोशिशें शुरू कर दी थीं।
मजीठिया ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 31 जनवरी 2022 को अंतरिम राहत देते हुए 23 फरवरी 2022 तक के लिए गिरफ्तारी से बचाव की अनुमति दी, ताकि वे चुनाव प्रचार कर सकें और नामांकन दाखिल कर सकें।
इस दौरान मजीठिया ने अमृतसर ईस्ट सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। जमानत की अवधि समाप्त होने के बाद उन्होंने मोहाली कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। फरवरी 2022: जब मजीठिया की हुई गिरफ्तारी
फरवरी 2022 में जैसे ही पंजाब में विधानसभा चुनाव का प्रचार समाप्त हुआ, पंजाब पुलिस ने तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी दिसंबर 2021 में दर्ज की गई NDPS एक्ट की एफआईआर के आधार पर हुई थी, जिसमें मजीठिया पर अंतरराष्ट्रीय ड्रग नेटवर्क से संबंध रखने और उसे राजनीतिक संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगे थे। चुनावी प्रक्रिया के दौरान मजीठिया ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट का रुख किया और अग्रिम जमानत मांगी, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्हें पटियाला जेल भेजा गया, जहां वे करीब 5 महीने तक न्यायिक हिरासत में रहे। उनकी गिरफ्तारी को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया, वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इसे देर से मिला न्याय करार दिया। जेल में रहने के दौरान मजीठिया ने अपनी बेगुनाही की दलीलें दीं, लेकिन यह घटना उनके राजनीतिक करियर का बड़ा मोड़ बन गई। 2022: AAP सरकार बनने के बाद हाई कोर्ट से जमानत
2022 चुनावों में बिक्रम सिंह मजीठिया ने अमृतसर ईस्ट सीट से चुनाव लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसी चुनाव में उनकी पत्नी गनीव कौर मजीठिया ने मजीठा हलके से जीत दर्ज की। चुनाव के बाद बिक्रम मजीठिया ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। अगस्त 2022 में कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को जांच के लिए पर्याप्त समय दिया गया है और अब मजीठिया को हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है। जमानत आदेश में यह भी कहा गया कि ट्रायल के दौरान मजीठिया को सहयोग करना होगा और कोई भी गवाह या सबूत प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए। यह जमानत मजीठिया के लिए एक कानूनी राहत थी, लेकिन ड्रग केस से जुड़ा दाग अब भी उनकी राजनीतिक छवि पर बना हुआ है। 2023–2025: दो साल से मान सरकार मजीठिया के निशाने पर
मजीठिया ने जेल से बाहर आने के बाद भगवंत मान सरकार पर तीखे हमले शुरू किए। 2023 से 2025 के बीच, मजीठिया ने कई बार यह दावा किया कि राज्य में नशे की स्थिति पहले से खराब हो चुकी है और सरकार इसे छुपाने की कोशिश कर रही है। मजीठिया ने सोशल मीडिया को मुख्य हथियार बनाकर आम जनता तक अपनी बात पहुंचाई। मजीठिया ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ड्रग माफिया के खिलाफ दिखावटी कार्रवाई कर रही है, जबकि असल नेटवर्क को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है। उन्होंने कई बार यह सवाल उठाया कि जब सरकार खुद चुनाव से पहले उन्हें ड्रग केस में जेल भेज चुकी है, तो अब वही सरकार नशे पर नियंत्रण क्यों नहीं कर पा रही? 2025 – विजिलेंस ने केस दर्ज किया
मजीठिया के खिलाफ 2025 मामले में जांच कर रही एसआईटी का 5वीं बार हेड बदला गया। इसके बाद नई एसआईटी ने उनसे पूछताछ की। करीब तीन महीने पहले मजीठिया पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने तैयारी की थी। नशा तस्करी मामले की जांच कर रही एसआईटी ने मजीठिया की प्रॉपर्टी की जांच के लिए सर्च वारंट अदालत से मांगे। लेकिन मजीठिया ने कहा कि उन्हें बताया जाए कौन सी लोकेशन की जांच करनी है। अभी तक यह मामला अदालत में चल रहा है। जुलाई में इसकी सुनवाई है। इसी बीच 25 जून को सुबह विजिलेंस ब्यूरो ने ड्रग तस्करी से जुड़े आय से अधिक से अधिक संपत्ति मामले में केस दर्ज किया। इसमें कहा किा गया कि 540 करोड़ की संपत्ति अवेध तरीके से बनाई है। मजीठिया की नियंत्रित कंपनियों के बैंक खातों में 161 करोड़ रुपए की बेहिसाब नकदी जमा है।संदिग्ध विदेशी संस्थाओं के माध्यम से 141 करोड़ रुपए का लेन-देन किया है।कंपनी के वित्तीय विवरणों में बिना किसी सूचना और स्पष्टीकरण के 236 करोड़ रुपए की राशि का खुलासा किया गया। वहीं, आज मजीठिया को अदालत में पेश किया। जहां से उन्हें दो जुलाई तक रिमांड पर भेजा गया है *********************** ये खबर भी पढ़ें…. पंजाब के अकाली नेता मजीठिया 7 दिन की रिमांड पर:इनकम से 540 करोड़ ज्यादा संपत्ति केस में अरेस्ट हुए पंजाब के शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को विजिलेंस ब्यूरो की टीम ने 7 दिन की रिमांड पर ले लिया है। गुरुवार को उनकी मोहाली कोर्ट में पेशी हुई थी। (पढ़ें पूरी खबर)

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