बिजली बोर्ड प्रबंधन रिटायर अधिकारियों पर कसेगा शिकंजा:विजिलेंस को लिखा पत्र; 400 केवी की कुनिहार लाइन में भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की मांग

by Carbonmedia
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हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड (HPSEB) प्रबंधन ने विजिलेंस को एक पत्र लिखा है। इसमें बिजली बोर्ड के पूर्व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। विजिलेंस को लिखे पत्र में कहा गया, बिजली बोर्ड से रिटायर अधिकारी सुनील ग्रोवर और तत्कालीन सीएमडी वित्त शाखा की सलाह के खिलाफ 400 केवी कुनिहार लाइन के निर्माण के लिए जिम्मेदार हैं। इस पर 126 करोड़ रुपए की लागत आई, जिसे आज तक कोई नियामक स्वीकृत प्राप्त नहीं हुई। पत्र में कहा गया, इस विद्युत संचार लाइन का निर्माण सब-स्टेशन के बिना ही कर दिया गया। यदि इस तरह का अनुचित व्यय नहीं किया गया होता, तो इस धनराशि का उपयोग कर्मचारियों और सेवानिवृत्त लोगों के बकाए के भुगतान पर होने वाले खर्च के हिस्से को बढ़ाने के लिए किया जा सकता था। बिजली बोर्ड द्वारा लिखे पत्र में कहा, सुनील ग्रोवर के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी भी दी है। इसके अलावा, बोर्ड प्रबंधन ने 66 केवी के नडुखर सब-स्टेशन के निर्माण का मुद्दा भी उठाया, जिसका निर्माण कार्य तत्कालीन अध्यक्ष ने बिना किसी वन मंजूरी और व्यय स्वीकृति के ही कर दिया था। इस निविदा में 35 करोड़ रुपए के आपूर्ति आदेश जल्दबाजी में जारी किए गए थे। यह सामग्री वर्तमान में विभिन्न स्थानों पर खुले में बिना उपयोग के पड़ी है और अधिकांश सामग्री की वारंटी अवधि समाप्त हो चुकी है, जिससे कंपनी को भी नुकसान हुआ है। गिलवर्ट कंपनी को अनुचित लाभ के बारे में भी लिखा बोर्ड प्रबंधन ने DGP सतर्कता को मेसर्स गिलवर्ट इस्पात के काटे गए विद्युत कनेक्शन को बकाया भुगतान के बिना बहाल करने के लिए विद्युत सप्लाई कोड और विद्युत एक्ट के पूर्ण उल्लंघन के बारे में भी लिखा है। बाद में उक्त कंपनी ही समाप्त हो गई और हिमाचल प्रदेश स्टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड बकाया राशि वसूल नहीं कर पाया। इसके कारण 2012 में बिजली बोर्ड को 11.84 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ। बिजली बोर्ड ने वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का प्रयास बताया बोर्ड प्रबंधन ने स्पष्ट किया, सुनील ग्रोवर जैसे पदाधिकारियों के मार्गदर्शन में कर्मचारी यूनियन उन वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने का एक ठोस प्रयास कर रही है, जिन्होंने पिछले एक दशक में बोर्ड को परेशान किया है। बिजली बोर्ड ने कर्मचारियों द्वारा कुप्रबंधन से संबंधित लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है। ऐसी अफवाहें निराधार हैं जो संगठन या राज्य के सामूहिक कल्याण के बजाय संकीर्ण हितों से प्रेरित प्रतीत होती हैं। बिजली बोर्ड ने 315 करोड़ का लाभांश प्राप्त किया बोर्ड प्रबंधन ने परिचालन दक्षता और वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करते हुए कर्मचारी हितों की रक्षा के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता दोहराता है। बोर्ड ने 1971 में अपनी स्थापना के बाद से वित्त वर्ष 2024-2025 में 315 करोड़ रुपए का सबसे ज्यादा लाभ प्राप्त किया है, जिससे बोर्ड प्रबंधन को कर्मचारियों को पेंशन और वेतन के समय पर भुगतान के अलावा बकाया, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण आदि के 560 करोड़ रुपए के बकाये का भुगतान कर दिया गया है।

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