बिना विभागीय कार्रवाई पुलिसकर्मी की बर्खास्तगी अवैध, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया आदेश

by Carbonmedia
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Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि पुलिस कर्मियों की बर्खास्तगी बिना विभागीय कार्रवाई के अवैध है. कोर्ट ने दरोगा प्रदीप कुमार गौतम के मामले में यह आदेश पारित किया, जिन्हें सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के आधार पर बर्खास्त कर दिया गया था. वीडियो में दरोगा को कथित रूप से रिश्वत लेते हुए दिखाया गया था.


हाईकोर्ट ने कहा कि उ.प्र. अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दण्ड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम-8 (2) (बी) के तहत पर्याप्त साक्ष्य होने पर भी बिना विभागीय कार्रवाई के बर्खास्त करना नियम और कानून के विरुद्ध है. कोर्ट ने अपर पुलिस आयुक्त द्वारा पारित बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर दिया और दरोगा को बहाल करने का आदेश दिया गया है.


वीडियो वायरल होने पर की गई थी कार्रवाई
जस्टिस अजीत कुमार की सिंगल बेंच में इस केस की सुनवाई हुई. वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अति प्रिय गौतम ने अपना पक्ष रखा. दरोगा प्रदीप कुमार गौतम चौकी इंचार्ज गोल चक्कर थाना फेस- 1 नोएडा गौतमबुद्ध नगर में तैनात थे. याची पर आरोप है कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था, वायरल वीडियो में एक व्यक्ति अपनी जेब में हाथ डालता है और पास में खड़े एएसआई प्रदीप कुमार गौतम चौकी प्रभारी गोल चक्कर थाना फेस – 1 नोएडा को कुछ रुपए पकड़ाता है.


आरोप लगाया जाता है कि उस व्यक्ति के द्वारा चौकी प्रभारी को रिश्वत दिया जा रहा है. कहा गया कि दरोगा का यह कृत्य उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली के प्रतिकूल है जिसमें पुलिस विभाग की छवि धूमिल होती हुई नजर आई. वीडियो में यह साफ-साफ देखा जा रहा है कि प्रथम दृष्टया अपराध कारित होना पाए जाने के बाद इस मामले में 5 अप्रैल 2025 को दरोगा के विरुद्ध थाना फेस वन नोएडा में धारा 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.


याची के ऊपर यह भी आरोप सिद्ध हुआ था कि वायरल वीडियो में साफ-साफ पुलिस कर्मी द्वारा घूस लिया जा रहा है. दरोगा के द्वारा यह कार्य आपराधिक अभियोग गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है. मामले की विवेचना प्रचलित है और दरोगा प्रदीप कुमार गौतम द्वारा कर्तव्य पालन में घोर लापरवाही बरती गई.


षड्यंत्र रच कर दरोगा को फंसाया
याचिका में कहा गया कि याची के ऊपर बर्खास्त की आदेश में जो आरोप लगाए गए हैं वह बिल्कुल सत्य एवं निराधार है. याची को सजेशन अभियुक्त द्वारा षड्यंत्र करके झूठा फसाई जाने की कोशिश की गई है, जबकि याची ने रिश्वत के एवज में कोई भी पैसा नहीं लिया और ना ही याची के पास से कोई रिकवरी हुई.


(प्रयागराज से सौरभ मिश्रा की रिपोर्ट)


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