नशे के लिए लोग तरह-तरह के जतन करते हैं. बियर के बाद व्हिस्की या वाइन पी लेते हैं. इससे नशे का सुरूर तो चढ़ता है, लेकिन इसके बाद की स्थिति मुश्किल में डाल सकती है. शराब का सेवन किसी भी मात्रा में हेल्थ के लिए उचित नहीं माना जाता. ऐसे में हेल्थ एक्सपर्ट्स के हिसाब से जानते हैं कि सेहत के लिए काॅकटेल कितना खतरनाक हो सकता है?
किस तरह होता है खतरनाक?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो शराब को मिक्स करना आम बात है, मगर ऐसा सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता. दरअसल, हर तरह की शराब में अल्कोहल की मात्रा अलग होती है. ऐसे में इनका असर भी अलग-अलग होता है. जैसे बियर में एल्कोहल की मात्रा कम होती है. जबकि व्हिस्की या वाइन में एल्कोहल ज्यादा होता है. अगर कोई व्यक्ति पहले बियर पीता है तो नशे का धीरे-धीरे असर होता है. इसके बाद व्हिस्की पीता है तो तेजी से नशा होता है. इस स्थिति में शरीर पर से कंट्रोल खत्म हो सकता है. कदम डगमगाने के साथ सोचने-समझने की स्थिति नहीं रहती. शरीर पर कई तरह से असर देखने को मिलता है.
काॅकटेल से ये समस्याएं आती हैं सामने
हैंगओवर: एक से अधिक शराब को मिक्स करके पीने से अगले दिन सिर में तेज दर्द हो सकता है. ऐसा लगता है कि सिर फटा जा रहा है.
डाइजेशन प्राॅब्लम: शराब बाॅडी के डाइजेशन सिस्टम पर असर करती है. ऐसे में एक से अधिक शराब को मिक्स करके पीने से गैस, डायरिया जैसी प्राॅब्लम का सामना करना पड़ सकता है.
शरीर कंट्रोल में नहीं रहता: अगर कोई सिर्फ बियर पीता है. ऐसे में उसे बियर के बाद शराब पिला दी जाए तो नशे का अंदाजा नहीं रहता. इससे व्यक्ति शरीर पर कंट्रोल खो देता है.
लिवर पर असर: शराब को मिक्स करके पीने से इसका असर लिवर पर भी पड़ता है. लिवर को अलग-अलग तरह के टॉक्सिंस को एक साथ प्रोसेस करना पड़ता है. इससे लिवर पर दबाव बढ़ जाता है. लगातार ऐसी स्थिति बनी रहने से लिवर को नुकसान पहुंच सकता है.
अल्कोहल से नुकसान
बातों को भूलने लगते हैं: शराब के सेवन से डिप्रेशन, एंग्जाइटी और नींद की समस्या हो सकती है. इसका असर याददाश्त पर भी पड़ने लगता है. निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होने लगती है. लंबे समय तक ऐसा रहने से स्थिति गंभीर हो सकती है.
हार्ट पर असर: शराब पीने से बाॅडी में ब्लड प्रेशर अनकंट्रोल्ड हो सकता है. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है. हार्ट रेट अनियमित होने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.
लिवर खराब हो जाता है: शराब का लिवर पर प्रभाव पड़ता है. फैटी लिवर की प्राॅब्लम से जूझना पड़ता है. ध्यान नहीं देने पर ये हेपेटाइटिस और सिरोसिस के रूप में सीवियर हेल्थ प्राॅब्लम बन जाती है.
कैंसर का खतरा: डब्ल्यूएचओ ने शराब को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन में रखा है. इससे ब्रेस्ट, बाउल, मुंह, खाने की नली, अपर थ्रोट, स्वरयंत्र (वाॅयस बाॅक्स) और लिवर में कैंसर होने का जोखिम रहता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.