Bihar Elections 2025: बिहार में मतदाता सूची में अधिक सटीकता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत निर्वाचन आयोग राज्य में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान घर-घर जाकर गहन सत्यापन करने पर विचार कर रहा है. प्रदेश में इस वर्ष के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. सूत्रों ने रविवार को यह जानकारी दी.
विभिन्न नागरिक संस्थाओं, राजनीतिक दलों और अन्य लोगों के जरिए मतदाता सूची में नामों को शामिल करने या हटाने को लेकर लगातार चिंता जताई गई है. राजनीतिक दलों और अन्य लोगों के जरिए मतदाता सूची में नाम शामिल करने या हटाने को लेकर लगातार विरोध किया जा रहा है.
आंकड़ों में हेराफेरी करने का आरोप
कांग्रेस समेत कई दलों ने आयोग पर बीजेपी की मदद करने के लिए आंकड़ों में हेराफेरी करने का आरोप लगाया है. अधिकारियों ने अफसोस जताया कि विस्तृत प्रोटोकॉल का पालन करने के बावजूद आयोग पर मतदाता सूची में मनमाने ढंग से नाम बढ़ाने के लिए अक्सर आरोप लगाए जाते हैं, जबकि यह प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ और राजनीतिक दलों की निरंतर निगरानी के तहत की जाती है.
सूत्रों ने बताया कि निर्वाचन आयोग बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की जांच करते समय हर घर जाकर पूरी सावधानी से सत्यापन करना चाहता है. उन्होंने बताया कि इसके पीछे का मकसद यह है कि मतदाता सूची में कोई गलती न रह जाए और यह पूरी तरह सही हो. उन्होंने बताया कि मतदाता सूचियों का ऐसा गहन और कठोर संशोधन पहले भी किया जा चुका है और आखिरी बार 2004 में ऐसा किया गया था.
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण का नियमित कार्य पूरे देश में निर्वाचन आयोग प्रतिवर्ष करता है, तथा चुनाव या उपचुनाव से पहले भी यह कार्य किया जाता है. उन्होंने कहा कि मतदाता के रूप में पंजीकृत होने की पात्रता और अयोग्यता के संबंध में प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 में स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं.
मतदाता सूची में नियमित रूप से होता है संशोधन
मृत्यु और नए मतदाताओं के शामिल होने के कारण मतदाता सूची में नियमित रूप से संशोधन किया जाता है. मतदाताओं के अंतर राज्यीय और अंत: राज्यीय आवागमन के कारण सूची को अद्यतन करने की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए, 2024 के दौरान, निर्वाचन आयोग को प्राप्त फॉर्म के अनुसार, 46.26 लाख लोगों ने अपना निवास स्थान बदला, 2.32 करोड़ ने सुधार के लिए आवेदन किया और 33.16 लाख ने प्रतिस्थापन के लिए अनुरोध किया. इस प्रकार, एक ही वर्ष में देश भर में लगभग 3.15 करोड़ परिवर्तन करने की आवश्यकता थी.
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