बिहार में डर… जुलाई में खूब हुए मर्डर! 10 दिन में 22 हत्याएं, नीतीश सरकार में अपराधी बेखौफ?

by Carbonmedia
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नीतीश सरकार में अपराधी बेखौफ हो चुके हैं. यह हम नहीं कह रहे बल्कि आंकड़े गवाह हैं. सिर्फ जुलाई (2025 के) महीने की बात की जाए तो प्रदेश में डेढ़ दर्जन से अधिक हत्याएं हो चुकी हैं. हमने चार जुलाई से लेकर 13 जुलाई तक के कुछ आंकड़ों को जुटाया है. इससे यह पता चलता है कि राजधानी पटना समेत अलग-अलग जिलों में बीते करीब दस दिनों में 22 मर्डर हुए हैं. यहां बता दें कि कुछ हत्या की वारदातों का सटीक आंकड़ा नहीं मिलने के कारण उसे हमने शामिल नहीं किया है. उसे शामिल करें तो आंकड़ा 22 से और पार जा सकता है.
तारीख और जिलों की घटनाओं पर नजर डालें
बीते रविवार (13 जुलाई) को सारण में दरियापुर थाना क्षेत्र में अपराधियों ने एक शिक्षक संतोष राय की गोली मारकर हत्या कर दी. रविवार को ही पटना सिटी इलाके में एक वकील जितेंद्र महतो को गोली मार दी गई. पीएमसीएच में उनकी मौत हो गई. जितेंद्र महतो पटना साहिब के ही रहने वाले थे.
पटना जिले के पिपरा थाना क्षेत्र के शेखपुरा गांव में शनिवार (12 जुलाई) की रात एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई. 12 जुलाई को नालंदा में जमीन विवाद में एक महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई. 11 जुलाई को पटना में एक कारोबारी विक्रम झा की हत्या कर दी गई. पटना में ही 10 जुलाई को बालू कारोबारी रमाकांत यादव की हत्या कर दी गई.
जहानाबाद से लेकर भागलपुर और मोतिहारी तक हत्या
अन्य जिलों की बात करें दो जहानाबाद, भागलपुर, मोतिहारी आदि जिलों में भी हत्याएं हुईं हैं. 10 जुलाई को जहानाबाद में खेत में सो रहे बुजुर्ग की हत्या कर दी गई थी. आठ जुलाई को भागलपुर में सद्दाम नाम के शख्स की हत्या कर दी गई थी. सात जुलाई को मोतिहारी में आपसी रंजिश में अजय यादव नाम के शख्स की हत्या कर दी गई.
पूर्णिया में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या
उधर छह जुलाई को नालंदा में हिंसक झड़प में किशोर समेत दो लोगों की मौत हो गई. छह जुलाई को ही पटना में निजी स्कूल संचालक अजीत कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई. छह जुलाई पूर्णिया में डायन होने के शक में एक ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी गई.
गोपाल खेमका हत्याकांड से हुई सरकार की किरकिरी
छह जुलाई को मुजफ्फरपुर में चाकू मारकर इंजीनियर की हत्या कर दी गई थी. वहीं चार जुलाई को पटना में बिहार के बड़े कारोबारी गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इससे सरकार की खूब किरकिरी हुई. वहीं चार जुलाई को ही सीवान में बीच सड़क पर तलवार से काटकर तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस तरह बिहार में हो रही हत्याओं से सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश सरकार में अपराधी बेखौफ हो गए हैं?

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