Sachin Pilot On Bihar Elections: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण किए जाने के चुनाव आयोग के फैसले पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट ने नाराजगी जताई है. उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर इसमें कुछ मतदाता भी बाहर हो जाते हैं तो भी यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होगा.
राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस नेता ने इस प्रयोग के लिए बिहार को ही चुने जाने पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा, ”निर्वाचन आयोग ने जिस तरह से जल्दबाजी में ये कदम उठाया है, इससे बड़ा संदेह पैदा होता है. विपक्षी पार्टियों का दल उनसे मिला और सवाल पूछे जिसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला.”
सचिन पायलट ने निर्वाचन आयोग पर खड़े किए सवाल
उन्होंने सवाल उठाते हुए आगे कहा, ”अब इतना कम समय रह गया है तो इतना बड़ा कार्यक्रम हाथ में लेने की ऐसी क्या आवश्यकता पड़ी थी. हर व्यक्ति को अपने मां-बाप के प्रमाण का पत्र लाना, ये अनिवार्यता जो दिखाई गई है, इससे बहुत सारे लोगों का वर्तमान में लिस्ट में नाम है वो कट सकता है और लोकतंत्र की एक खूबी है कि हर व्यक्ति के एक-एक वोट की कीमत होती है. एक भी व्यक्ति अगर वोट से वंचित रहता है तो वो उस भावना के खिलाफ है जो संविधान में लोकतंत्र के माध्यम से हमें दी गई है. इसलिए निर्वाचन आयोग ने जो किया है, इसकी क्या जरूरत पड़ी और क्यों करना पड़ा?”
निर्वाचन आयोग को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए- पायलट
सचिन पायलट ने ये भी कहा कि बात ये नहीं है कि ये कानून के दायरे में है या नहीं. बात ये है कि इतने कम समय में महज दो महीने में 8 करोड़ लोगों के पहचान पत्र लाकर उनका नाम दोबारा डाल सकते हैं? कांग्रेस समेत कई दलों ने इस बात को रखा है. अगर लोगों को इसमें ये आशंका होती है कि मेरा नाम कट जाएगा तो मुझे लगता है कि इसमें निर्वाचन आयोग को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. दूसरी बात एक ऐसी प्रणाली आए जो पारदर्शी हो. इस पूरी प्रक्रिया को जटिल न बनाते हुए पारदर्शी तरीके से निर्वाचन आयोग को काम करना चाहिए.
निर्वाचन आयोग की मंशा पर संदेह उठ रहा- सचिन
निर्वाचन आयोग का काम क्या है? यही कि सभी लोग खुले मन से निष्पक्ष होकर अपना काम कर सकें. अगर आप लोगों के मन में भय पैदा कर दोगे कि उनका वोट कटेगा और फिर एक कंफ्यूजन पैदा हो जाए तो ये सही नहीं है. बिहार को ही क्यों चुना? वहां पर कुछ महीने बाद चुनाव है तो किसी और राज्य में इस सुधार को कर सकते थे. कहीं न कहीं उनकी मंशा पर संदेह उठ रहा है. संवैधानिक संस्था को अपना पक्ष रखना चाहिए कि लोगों को एक फीसदी भी संदेह न हो कि हमारा नाम कटेगा. इस तरह का माहौल न बने, ये जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की है.
बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन के मसले पर बोले कांग्रेस नेता सचिन पायलट, ‘निर्वाचन आयोग की मंशा…’
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