बेअदबी पर स्पेशल सेशन: ध्यान भटकाने के सिवाय कुछ नहीं:कांग्रेस बेाली- अब तक कार्रवाई से किसने रोका था; मुद्दा विधानसभा तक न रहे

by Carbonmedia
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पंजाब सरकार द्वारा बेअदबी के खिलाफ कानून बनाने के लिए बुलाए जा रहे 10 जुलाई को बुलाए जा रहे विशेष सत्र पर कांग्रेस का कहना है कि यह ध्यान भटकाने के सिवाय कुछ नहीं है। कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने सवाल किया है कि सरकार को अब तक कोई कार्रवाई करने से किसने रोका था? उन्होंने कहा, “क्या सरकार यह सुझाव देना चाहती है कि राज्य और देश में बेअदबी के खिलाफ कोई कानून नहीं है?” उनका कहना है कि पंजाब अब कार्रवाई की मांग करता है, न कि ध्यान भटकाने की। उन्होंने कहा कि सरकार ने बेअदबी के नाम पर वोट लिए, लेकिन कुछ नहीं किया है। हालांकि सरकार का कहना है कि इस मामले में अब पक्के इंतजाम किए जा रहे है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो पाए। वड़िंग ने सरकार के स्पेशल सेशन पर उठाए दो सवाल साढ़े तीन साल कुछ नहीं किया राजा वड़िंग ने इस मुद्दे को लेकर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट भी डाली है। उन्होंने आप सरकार के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पिछले साढ़े तीन सालों से यह सरकार पूरी तरह निष्क्रिय रही है। “इसमें न तो बेअदबी मामले में न्याय करने की कोई मंशा थी और न ही क्षमता। जब इसे लगा कि जनता का गुस्सा बढ़ रहा है, तो इसने ध्यान भटकाने के अपने खास तरीकों का सहारा लेना शुरू कर दिया।” लोगों के वोट लेने के अलावा कुछ नहीं किया सरकार को कार्रवाई से किसने रोका?पीसीसी अध्यक्ष ने पूछा कि आप सरकार को मामले में कार्रवाई करने और दोषियों को दंडित करने से किसने रोका। उन्होंने कहा कि उनके अपने नेता और विधायक कुंवर विजय प्रताप सिंह, जिन्होंने इस मामले में गहराई से जांच की, उन्हें अब पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने सरकार से कहा, “आपने बेअदबी के नाम पर वोट लिए और आपने कुछ नहीं किया,” साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह की भ्रामक रणनीति पंजाब के लोगों को समझाने वाली नहीं है। केवल सेशन तक मुद्दा सीमित नहीं रहना चाहिए बेअदबी के मुद्दे पर स्पेशल सेशन बुलाए जाने पर अकाली दल के सीनियर नेता अर्शदीप कलेर का कहना है कि हर पंजाबी, जो कहीं भी रहता है, वह चाहता है कि बेअदबी के दोषियों को कठोर सजा मिले । बेअदबी के मामलों में जल्दी इंसाफ हो। लेकिन राजनीतिक पार्टियों द्वारा इस मुद्दे का फायदा उठाया गया है। 2016 में अकाली दल की सरकार इस मुद्दे पर कानून विधानसभा में ला चुकी है। केंद्र की तरफ से सुझावों और सुधारों के लिए पंजाब सरकार को ड्राफ्ट वापस भेजा गया था, लेकिन बेअदबी के मुद्दे पर सत्ता में आई कांग्रेस की सरकार ने इन्हें दोबारा केंद्र को नहीं भेजा है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सेशन तक सीमित नहीं रहना चाहिए। कठोर कानून बनने चाहिए ताकि धार्मिक ग्रंथों के प्रति दोबारा कोई बेअदबी करने की सोच न पाए।

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