बेड पर लेटते ही दिमाग में घूमने लगते हैं हजारों ख्याल, जानिए नींद के किस डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं आप?

by Carbonmedia
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दिनभर की भागदाैड़ के बाद आराम की तलाश में बेड पर पहुंचते हैं. लेकिन यहां नींद के इंतजार में करवटें बदलते रहते हैं. घंटों बेड पर लेटने के बाद भी नींद नहीं आती. ऐसे में ये ​स्लीप डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है. अक्सर लोग इस प्राॅब्लम को दिन की थकान और चिंता से जोड़कर अनदेखा कर देते हैं. आइए जानते हैं कि ये ​स्लीप डिसऑर्डर क्या होते हैं और किस तरह शरीर पर असर डालते हैं…
पहले समझिए ​स्लीप डिसऑर्डर क्या है?
हेल्दी बाॅडी के लिए अच्छी नींद जरूरी होती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स भी कहते हैं कि अच्छी नींद बाॅडी को रीस्टोर करने में मदद करती है. लेकिन जब ये नींद आपकी दुश्मन बन जाती है, तो मु​श्किल खड़ी हो जाती है. बेड पर घंटों पड़े रहने के बाद भी पलकें झपकने का नाम नहीं लेतीं. अगर आंखें बंद हो भी जाती हैं तो कुछ ही देर बार खुल जाती हैं. नींद उचटने की ये वजह स्लीप डिसऑर्डर के चलते हो सकती है. ​स्लीप डिसऑर्डर कई तरह के होते हैं. इन समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई बार आपको अपनी लाइफस्टाइल में चेंजेस करने पड़ते हैं तो कई केसेज में हेल्थ एक्सपर्ट्स दवा लेने की सलाह देते हैं.
ये स्लीप डिसऑर्डर उड़ा सकते हैं रात की नींद
इंसोमनिया: रात की नींद गायब करने के लिए ये प्रमुख स्लीप डिसऑर्डर है. इसमें दो तरह के केस सामने आते हैं. पहला क्राॅनिक इंसोमनिया में महीने भर या उससे अ​धिक समय से नींद की समस्या से जूझने की दिक्कत सामने आती है. रात में बेड पर करवटें बदलते रहते हैं. दिन में थका हुआ महसूस करते हैं. इस तरह के लक्षण क्राॅनिक इंसोमनिया में सामने आ सकते हैं. वहीं एक्यूट इंसोमनिया की ​स्थिति कुछ दिनों या हफ्तों तक रह सकती है. इसके पीछ हे​क्टिक लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, एंक्जाइटी आदि वजह हो सकती हैं.
स्लीप एपनिया: स्लीप एपनिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें नींद के दौरान सांस बार-बार रुकती है. इसके चलते अचानक से आंखें खुल जाती हैं. इससे गहरी और सुकून भरी नींद नहीं मिलती. नींद उचटती रहती है. ये दिक्कत सांस रोगियों को प्रमुख रूप से परेशान करती है. ऐसे में दिन में अत्यधिक नींद, थकान, सिरदर्द और एकाग्रता में कमी जैसे लक्षण दिख सकते हैं.
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम: रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में पैर में जलन या झनझनाहट महसूस होने लगती है. इस दाैरान पैर हिलाने पर आराम मिलने लगता है. ये समस्या इंसान को सोते समय ज्यादा होती है. ऐसे में रात की नींद में खलल पड़ जाता है. इस समस्या से परमानेंट निजात नहीं पाया जा सकता, लेकिन इसे कंट्रोल किया जा सकता है. जिससे नींद की समस्या से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है. ट्रीटमेंट के बाद रात में भी प्राॅपर नींद ले सकते हैं.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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