बेरी गेट फायर स्टेशन की गाड़ियां दूसरे स्टेशनों से भरती हैं पानी, इससे होती है समय की बर्बादी

by Carbonmedia
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अमनदीप सिंह | अमृतसर शहर की 15 लाख आबादी 5 फायर स्टेशनों पर निर्भर है। इनमें से बेरी गेट फायर स्टेशन के पास पानी की व्यवस्था नहीं है। यहां की फायर गाड़ियां दूसरे स्टेशनों से पानी भरती हैं। आग लगने पर अगर गाड़ी का पानी खत्म हो जाए तो उसे वापस लौटकर पानी भरना पड़ता है। जबकि एक बड़े फायर टेंडर में 5000 लीटर पानी भरता है। इससे समय की बर्बादी होती है। बता दें कि शहर में पांच फायर स्टेशन है, जिसमें से एक हेड ऑफिस कोतवाली, फोकल प्वाइंट, गिलवाली गेट, बेरी गेट और सिविल लाइन स्थित है। यह स्टेशन पूरे शहर में कहीं भी आग लगने पर वहां पहुंचते हैं। जबकि इसमें से बेरी गेट वाले फायर स्टेशन में पानी की व्यवस्था ही नहीं है। यहां के स्टेशन के पास 2 फायर टेंडर और 1 जीप है। वहीं तंग गलियों में जाने के लिए 1 फायर बुलेट भी है। लेकिन इस स्टेशन को पानी भरने के लिए अन्य स्टेशनों पर निर्भर होना पड़ता है। फायर स्टेशन गिलवाली गेट के पास 3 फायर टेंडर 5000 लीटर वाले, 1 जीप और 1 बुलेट है। कोतवाली स्टेशन के पास 2 फायर टेंडर 5000 लीटर वाले और 1 जीप है। फोकल प्वाइंट स्टेशन के पास 2 फायर टेंडर 5000 लीटर और 1 जीप है। बेरी गेट स्टेशन के पास 2 फायर टेंडर 5000 लीटर और 1 जीप है। वहीं सिविल लाइन स्टेशन के पास 1 वाटर बाउजर 12 हजार लीटर, 2 फायर टेंडर और 1 जीप है। जबकि पूरे शहर बड़ी आग लगने पर एक ही 1 वाटर बाउजर है। फायर मैन नरेश शर्मा ने कहा कि लोगों को गर्मियों में बिजली उपकरणों को राहत दिलानी चाहिए। जैसे एसी, हाई वोल्टेज फर्राटे, कारों के एसी को भी राहत दिलाना जरूरी है। घर में रसोई गैस की पाइप को 3 हफ्ते बाद चैक करते रहना चाहिए ताकि लीक होने से लगने वाली आग से बचा जा सके। घर में खाना बनाते समय पानी की बाल्टी पास रखनी चाहिए। हर फायर स्टेशनों पर कर्मचारियों की संख्या 18-20 के पास है। जिसमें से तीन शिफ्टों में कर्मचारी डिवाइड होकर काम करते हैं। सभी स्टेशन 24 घंटे एक्टिव रहते हैं। कॉल रिसीव होते ही 2-3 मिनट में फोर्स रवाना होती है। जिसमें एक लीडिंग पायर मैन और एसएफओ आग लगने की घटना को लीड करते हैं। फायर मैन हरजिंदर सिंह ने कहा कि जब कहीं आग लग जाती है तो उन्हें तुरंत निकलना होता है। ऐसे में उन्हें कई बार ट्रैफिक की समस्या से जूझना पड़ता है। कई बार आग लगने वाली जगह पर लेट हो जाते हैं। आग लगने पर पुलिस को रास्ता क्लियर व लोगों को सहयोग करना चाहिए। जब कहीं आग लगती है तो वहां के इलाके के जेई से संपर्क करके लाइट बंद करवाई जाती है। फायर बुलेट को तंग गलियों में इस्तेमाल किया जाता है। निशान सिंह ने बताया कि फायर ब्रिगेड कर्मचारी फायर टेंडर, हॉज पाइप, फोम मशीन, ऑक्सीजन मास्क, गलब्ज, होल्मेट, फायर सूट के साथ-साथ हथोड़ा, कस्सी, हैमर आदि इस्तेमाल करते हैं। सभी पुराने उपकरण अपडेट होते रहते हैं।

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