भगवान विष्णु के वचन के बाद गर्भ से निकले, 12 वर्ष बाद जन्म लेते ही वनवासी बने सुखदेव मुनि

by Carbonmedia
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भास्कर न्यूज | लुधियाना न्यू संत नगर चूहड़पुर रोड, हैबोवाल कलां में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में दूसरे दिन श्रद्धालु भक्ति में सराबोर रहे। कथा व्यास पंडित मनोज मिश्रा ने प्रवचन करते हुए सुखदेव मुनि जन्म का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत का उपदेश सबसे पहले नारायण जी ने ब्रह्मा जी को दिया। ब्रह्मा जी ने यह उपदेश नारद जी को सौंपा। नारद जी ने व्यास जी को दिया। व्यास जी ने इन श्लोकों को एकत्रित कर उनका विस्तार करते हुए 18 हजार श्लोकों का श्रीमद्भागवत महापुराण तैयार किया। सबसे पहले यही कथा व्यास पुत्र सुखदेव मुनि जी ने सुनाई। पंडित मनोज मिश्रा ने कहा कि भागवत को वही सुन सकता है, जिसने काम, क्रोध और लोभ पर विजय पा ली हो। सुखदेव जी 12 वर्ष तक माता के गर्भ में रहे। वे बाहर आने से इसलिए डरते थे कि भगवान की माया उन्हें पकड़ लेगी। सबने उन्हें आश्वासन दिया, लेकिन उन्होंने विश्वास नहीं किया। अंत में स्वयं भगवान विष्णु स्वयं प्रकट हुए और उन्हें आश्वासन दिया कि हे मुनि, तुम मेरे परम भक्त हो। जन्म के पश्चात भी माया तुम्हें स्पर्श नहीं करेगी। तुम सदैव निर्लिप्त रहोगे और ब्रह्मज्ञान में लीन रहोगे। प्रभु के वचनों से सुखदेव निश्चिंत हुए। गर्भ से बाहर आते ही उन्होंने सांसारिक जीवन से विरक्ति दिखाते हुए तुरंत ही वन की ओर तपस्या करने चले गए। कथा व्यास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने और करवाने का सौभाग्य केवल ईश्वर कृपा से ही मिलता है। हर कोई सत्संग में शामिल नहीं हो सकता। जब भी आपको कथा या संत महात्मा का संग मिले तो यह मानिए कि परमात्मा ने विशेष आशीर्वाद दिया है। यही सत्संग आत्मा की शुद्धि और मोक्ष का मार्ग है। इस अवसर पर कथा स्थल राधे-राधे की मंगल ध्वनियों से गूंज उठा। भक्तजन भावविभोर होकर भक्ति में लीन होकर झूमते हुए नजर आए। कथा के अंत में प्रभु की आरती उतारी गई और प्रसाद वितरित किया गया। श्रद्धालुओं के लिए लंगर की विशेष व्यवस्था आयोजक परिवार की ओर से की गई। पंडित मनोज मिश्रा ने कहा कि सुखदेव मुनि जी ने भागवत को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया। इसीलिए आज भी यह ग्रंथ हर युग में प्रासंगिक और प्रेरणादायी है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि कथा केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाला दिव्य ज्ञान है। कथा की पूर्णाहुति 17 सितंबर को सुबह 10 बजे होगी। इस दिन विशेष भजन संध्या, पूजन और हवन के साथ मां भगवती से विश्व कल्याण की प्रार्थना की जाएगी। आयोजक परिवार ने श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर आशीर्वाद लेने की अपील की।

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