भाजपा विधायक धरना मामला ने पकड़ा तूल:दादरी में विपक्षी पार्टियों के नेता नाकामी बता मांग रहे इस्तीफा, समर्थक बता रहे जीत

by Carbonmedia
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चरखी दादरी जिले के बाढड़ा से भाजपा विधायक उमेद सिंह पातुवास द्वारा बीडीपीओ कार्यालय के कर्मचारियों को बाहर कर ताला लगाने और करीब ढाई घंटे तक वहां धरने के रूप में बैठे रहने का मामला लगातार गर्माता जा रहा है। घटनाक्रम के बाद विधायक के कहने पर कमरा ना खुलवाने वाली बीडीपीओ स्वाति अग्रवाल का यहां से ट्रांसफर भी कर दिया गया। जिसके बाद से दूसरी पार्टियों के नेता भी एक्टिव हो गए और दो दिन बाद भी मामला शांत नहीं हुआ है । सोशल मीडिया पर तो हर जगह यहीं मुद्दा छाया हुआ है । किसान संगठनों, राजनीतिक दलों के नेता व पदाधिकारी इसे सरकार व विधायक की नाकामी बता रहे हैं और इस्तीफा की मांग कर रहे हैं। वहीं विधायक समर्थक बीडीपीओ के तबादले को बड़ी जीत मान करके सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल रहे हैं। विधायक का मांग रहे इस्तीफा
बता दे कि वीरवार को बीडीपीओ कार्यालय में कमरा नहीं खोले जाने से खफा होकर बाढड़ा से विधायक उमेद सिंह पातुवास ने बीडीपीओ कार्यालय के कर्मचारियों को बाहर कर वहां ताला जड़ दिया था और करीब ढाई घंटे के गेट पर बैठे रहे। इस दौरान उन्होंने बीडीपीओ और एसईपीओ को सस्पेंड करने की मांग की। बाद में उसी दिन बीडीपीओ का तबादला कर दिया गया।
पूरे घटनाक्रम के बाद से दूसरी पार्टियों के नेताओं ने विधायक व भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर, प्रेस को बयान जारी कर व दूसरे माध्यमों से सरकार व विधायक की नाकामी बता रहे हैं। इसके अलावा कई नेताओं ने तो नैतिकता के आधार पर विधायक का इस्तीफा ही मांग लिया है। समर्थक बता रहे जीत तो विरोधी नाकामी
विधायक के ताला जड़ने,धरना देने और बीडीपीओ के तबादले के बाद सोशल मीडिया पर विधायक समर्थकों और विरोधियों की एक जंग सी छीड़ी हुई है। समर्थक जहां बीडीपीओ की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर उनका तबादला किए जाने से हलके का भला होने व मनमानी करने वाले अधिकारियों पर नकेल कसने की बात कह रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अन्य पार्टियों व संगठनों से जुड़े लोग बीडीपीओ को ईमानदार बता रहे हैं और उनका कहना है कि कुछ लोग विकास कार्यों में भ्रष्टाचार करना चाहते और बीडीपीओ ने साथ नहीं दिया तो ये ड्रामा रच दिया। साथ ही अब लगाए गए बीडीपीओ की कार्यशैली पर ज्वाइनिंग से पहले ही सवाल उठाए हैं। सरपंच एसोसिएशन प्रधान के लिए कमरा नहीं है स्वीकृत
पूरा मामला सरपंच एसोसिएशन के प्रधान के लिए बीडीपीओ कार्यालय में कमरा खुलवाने को लेकर हुआ था। जिसके बाद से इसको लेकर भी लोगों की दो राय हैं। कुछ लोग मानते हैं कि सरपंच एसोसिएशन के लिए बीडीपीओ कार्यालय में कमरा होना चाहिए। जबकि कुछ का कहना है कि ये कोई संवैधानिक संस्था नहीं है इसलिए बीडीपीओ कार्यालय में कमरा नहीं दिया जा सकता। ऐसी तो बहुत सी संस्था व संगठन हैं सभी को कमरा नहीं मिल सकता। मनीषा सांगवान बोली पावर लैस विधायकों से विकास की उम्मीद कोसों दूर
दादरी विधानसभा से बीते चुनाव में प्रत्याशी रही कांग्रेस वरिष्ठ नेत्री डॉ.मनीषा सांगवान ने कहा कि भाजपा के पावर लेस विधायकों से विकास की उम्मीद कोसों दूर है। जब सरकार में विधायकों की सुनवाई नहीं होती तो वो आम जनता का भला कैसे कर सकते हैं। अधिकारी विधायक के बैठने के लिए कमरा तक नहीं खोलते। ऐसी सरकार से प्रदेश में विकास की उम्मीद करना बेइमानी है। विधायक को भी नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। मनीषा सांगवान ने आगे कहा कि बाढ़डा से विधायक उमेद पातुवास के बोलने के बाद भी बीडीपीओ ने कमरा खोलने के लिए मना कर दिया। सत्ताधारी विधायक को घंटों तक अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली से खफा होकर धरना देना पड़ा। यह प्रकरण सरकार की विफलता को उजागर करता है। उन्होंने कहा कि पावर लेस विधायकों और सरकार की पोल जनता के सामने खुल चुकी है। अब तक भाजपा विधायकों ने केवल दिखावा किया था, मगर अब सच्चाई जनता के समक्ष आ चुकी है। पूरा घटनाक्रम शर्मनाक
एमएसपी गारंटी कानून मोर्चा प्रदेश संयोजक जगबीर घसोला ने कहा कि बीडीपीओ कार्यालय में घटित हुआ पूरा घटनाक्रम बहुत ही शर्मनाक और गंभीर है।
अगर महिला बीडीपीओ की कार्य शैली संतोष जनक नहीं थी तो क्या महिला कर्मचारियों के साथ एक जनप्रतिनिधि इस प्रकार का दुर्व्यवहार करेंगे ये कहां तक उचित है। उन्होंने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने वाली महिला अधिकारी के साथ भाजपा नेता इस प्रकार से पेश आकर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे का कही मजाक तो नही उड़ा रहे हैं। अगर पूरी तहसील के सरपंचों को बीडीपीओ से कोई शिकायत थी तो सरपंच विरोध प्रदर्शन करके बड़े आराम से कार्यालय को ताला जड़कर मजबूत संदेश दे सकते थे। लेकिन एक हल्के का जनप्रतिनिधि अपने अधीन कर्मचारियों को उनके दफ्तर से बाहर निकाल दे इस पूरे घटनाक्रम को हम निष्पक्षता से देखें तो बिल्कुल न्यायोचित नहीं है बहुत से बुद्धिजीवी लोग कह रहे हैं हमने आज तक कभी भी किसी विधायक को किसी के दफ्तर में जाकर कर्मचारियों के साथ झगड़ते हुए नहीं देखा है यह पूरा ड्रामा हेरा फेरी करने की नीयत की तरफ इशारा कर रहा है।
दूसरी पार्टियों के कई नेता बता चुके गलत
भाजपा विधायक द्वारा बीडीपीओ कार्यालय गेट पर ताला जड़ने के घटनाक्रम को बाढड़ा से कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सोमबीर सिंह, आम आदमी पार्टी से प्रत्याशी रहे राकेश चांदवास, जजपा जिलाध्यक्ष रविंद्र,किसान संगठनों से जुड़े ब्रह्मपाल आदि ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और इसे पूरी तरह से गलत बताया है। कई लोगों ने तो इसे सरकारी कार्य में बाधा डालने की बात कहते हुए कार्रवाई की मांग तक की है।

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