भारतीय ब्राह्मणों पर बयान देकर चर्चा में आए पीटर नवारो:हार्वर्ड से PhD, 20 साल प्रोफेसर रहे; ट्रम्‍प के आर्थिक सलाहकार बने; जानें कंप्‍लीट प्रोफाइल

by Carbonmedia
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‘भारत के ब्राह्मण रूसी तेल से मुनाफा कमा रहे हैं, जिसकी कीमत पूरा भारत चुका रहा है।’ ये विवादित बयान ट्रम्प के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने दिया है । भारत में इस बयान की खूब चर्चा है। उन्‍होंने 1 सितंबर को एक इंटरव्यू में भारत को लेकर ये बात कही। पीटर नवारो का जन्म 15 जुलाई 1949 को कैम्ब्रिज के मैसाचुसेट्स में हुआ था। वह इतालवी मूल के हैं। पीटर के पिता अल्बर्ट अल नवारो एक सैक्सोफोनिस्ट और शहनाई वादक थे। भारत में भी काम कर चुके हैं पीटर नवारो ने अपने करियर की शुरुआत साल 1973 में अमेरिकी पीस कॉर्प्स यानी शांति सेना में शामिल होकर की। इस दौरान उन्‍होंने भारत, थाईलैंड, लाओस, जापान और म्यांमार जैसे देशों में अपनी सेवाएं दी। वो 1976 तक कार्यरत रहे। हालांकि इसके बाद उन्होंने फिर से अपनी पढ़ाई शुरू की। फिर उन्होंने जॉन एफ. कैनेडी स्कूल से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स (MPA) किया और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में PhD किया। पीटर नवारो ने एनर्जी के मुद्दों पर संयुक्त राज्य अमेरिका और एशिया के बीच संबंधों पर काम किया है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में 20 सालों तक पढ़ाया 1981 से 1985 तक, वे हार्वर्ड के एनर्जी एंड एनवायरनमेंटल पॉलिसी सेंटर में रीसर्च एसोसिएट रहे। 1985 से 1988 तक, उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और सैन डिएगो यूनिवर्सिटी में पढ़ाया। फिर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, इरविन (UCI) के पॉल मेरेज स्कूल ऑफ बिजनेस में इकोनॉमिक्स और पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर बने। उन्होंने UC इरविन में फैकल्टी के रूप में 20 से ज्यादा सालों तक काम किया। फिर 2016 में प्रोफेसर एमेरिटस के रूप में रिटायर हुए। साल 2011 में लॉस एंजिल्स टाइम्स से एक इंटरव्यू में ट्रम्प ने अपनी 20 पसंदीदा किताबों का उल्लेख किया। इनमें से एक किताब थी, ‘डेथ बाय चाइना’। इसके राइटर पीटर नवारो थे। फिर वो धीरे-धीरे ट्रम्प से संपर्क में पहली बार आए। ट्रम्प के कैंपेन के बिजनेस एडवाइजर रहे साल 2016 की बात है। उस दौर में ट्रम्प के सलाहकार उनके दामाद जेरेड कुशनेर थे। उन्होंने ईकॉमर्स पोर्टल अमेजन पर देखा कि ‘डेथ बाय चाइना’ के राइटर नवारो हैं। कुशनेर को इस किताब की थीसिस इतनी पसंद आई कि उन्होंने पीटर नवारो को ट्रम्प के कैंपेन का बिजनेस एडवाइजर बना दिया। फिर उन्हें ट्रम्प के 2016 के राष्ट्रपति कैंपेन के लिए इकोनॉमिक पॉलिसी एडवाइजर के रूप में काम किया। व्हाइट हाउस नेशनल ट्रेड काउंसिल के पहले डायरेक्टर बने ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद नवारो को शुरू में राष्ट्रीय आर्थिक परिषद (नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल) के पद के लिए नियुक्ति का वादा किया गया था। लेकिन ये पद गैरी कोहन को दे दिया गया। इसके बाद 21 दिसंबर, 2016 को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में एक नया पद (पोस्ट) इजात किया। फिर नवारो को व्हाइट हाउस नेशनल ट्रेड काउंसिल के डायरेक्टर बनाया गया। हालांकि ऐसे में पहले 3 हफ्तों के लिए नवारो को व्हाइट हाउस परिसर में कोई कार्यालय नहीं सौंपा गया और उन्हें अपने घर से काम करना पड़ा। चुनाव धांधली मामले में 4 महीने की जेल हुई नवारो ने अक्टूबर 2020 में, राष्ट्रपति चुनाव से दो हफ्ते पहले राष्ट्रपति चुनाव को पलटने की कोशिश की। 2022 में एक ग्रैंड जूरी ने उन पर अमेरिकी कांग्रेस की अवमानना के 2 मामलों में अभियोग लगाया। 2024 में, उन्हें 4 महीने की जेल की सजा सुनाई गई। इस तरह वे कांग्रेस की अवमानना के आरोप में जेल जाने वाले पहले पूर्व व्हाइट हाउस अधिकारी बन गए। ट्रम्प के ट्रेड एंड मैन्युफैक्चरिंग के सीनियर काउंसलर 5 नवंबर, 2024 को डोनाल्ड ट्रम्प की दोबारा जीत होती है। 4 दिसंबर, 2024 को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की कि नवारो उनके दूसरे कार्यकाल में ट्रेड एंड मैन्युफैक्चरिंग के लिए वरिष्ठ सलाहकार (सीनियर काउंसलर) होंगे। वे ट्रम्प के पहले कार्यकाल से लौटने वाले कुछ गिने-चुने अधिकारियों में से एक हैं। उन्होंने 20 जनवरी, 2025 को अपना पदभार संभाला था। नवारो ट्रम्प के हाल के टैरिफ नीतियों, जैसे 2025 में घोषित ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ के प्रमुख आर्किटेक्ट हैं। ————————————-
ये खबर भी पढ़ें… सफीना हुसैन के NGO ‘एजुकेट गर्ल्स’ को रेमन मैग्सेसे: दिल्‍ली से पढ़ीं, सैन फ्रांसिस्‍को में चाइल्‍ड हेल्‍थ से जुड़ीं; एजुकेशन का पहला बॉन्‍ड शुरू किया भारत में लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने वाले NGO यानी नॉन-गवर्नमेंटल ऑर्गनाइजेशन ‘एजुकेट गर्ल्स’ को 2025 का रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड मिलेगा। यह पहला इंडियन ऑर्गनाइजेशन है, जिसे यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है। साल 2007 में सफीना हुसैन ने इसकी शुरुआत की थी। रेमन मैग्सेसे को एशिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है। ‘एजुकेट गर्ल्स’ मैग्सेसे सम्मान पाने वाला पहला भारतीय NGO है। पढ़ें पूरी खबर…

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