भारत को कब मिलेंगे बचे हुए 2 S-400 मिसाइल सिस्टम? राजनाथ सिंह ने रूस के रक्षा मंत्री से पूछ लिया सवाल, जानें क्या मिला जवाब

by Carbonmedia
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S-400 missile system: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के इतर चीन के किंगदाओ में रूस के रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव से मुलाकात की. इस बैठक में उन्होंने एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की दो यूनिट की डिलीवरी में हो रही देरी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया. हालांकि, रूस ने पहले 2025 तक डिलीवरी का भरोसा दिया था, लेकिन अब इसे लेकर माना जा रहा है कि टाइमलाइन 2026-27 तक खिसक गई है.
ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की भूमिका रही निर्णायकबीते ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से हुए मिसाइल और ड्रोन हमलों को भारतीय वायुसेना की S-400 यूनिट ने निष्क्रिय कर दिया था. पाकिस्तान ने आदमपुर एयरबेस में S-400 यूनिट को निशाना बनाने का झूठा दावा किया था. इसके बाद 13 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद आदमपुर पहुंचे और S-400 यूनिट के साथ तस्वीरें खिंचवाकर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया.
S-400, Su-30 MKI अपग्रेड और रक्षा उत्पादन पर चर्चाबैठक में दोनों नेताओं ने रक्षा उत्पादन, वायु-से-वायु में मार करने वाली मिसाइलें, एयर डिफेंस सिस्टम और हवाई प्लेटफॉर्म के अपग्रेड जैसे विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, बैठक में Su-30 MKI फाइटर जेट के अपग्रेड और समयबद्ध सैन्य साजो-सामान आपूर्ति को लेकर भी चर्चा हुई.
भारत-रूस रक्षा संबंध मजबूतरूस के रक्षा मंत्री बेलौसोव ने भारत-रूस के दीर्घकालिक रक्षा संबंधों की सराहना की और कहा कि ये संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं. साथ ही 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले पर भारत के साथ एकजुटता भी व्यक्त की.
दुनिया की सबसे शक्तिशाली एयर डिफेंस प्रणाली है S-400भारत और रूस के बीच वर्ष 2018 में ₹39,000 करोड़ में एस-400 प्रणाली की डील हुई थी. इसकी रेंज 40 से 400 किमी तक है और यह मोबाइल सिस्टम है जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है. यह दुश्मन की न्यूक्लियर मिसाइलों को हवा में ही ध्वस्त कर सकता है. यह पूरी तरह मोबाइल सिस्टम है, जिसे सेना के वाहन से किसी भी लोकेशन पर ले जाया जा सकता है. यह न्यूक्लियर मिसाइल को भी भारतीय सीमा में घुसने से पहले ही हवा में मार गिराने की ताकत रखता है.
2026–27 तक हो सकती है डिलीवरीहालांकि पहले रूस ने 2025 तक डिलीवरी का भरोसा दिलाया था, लेकिन अब माना जा रहा है कि बचीं दो यूनिट्स की आपूर्ति 2026–27 तक पूरी हो पाएगी. यह मिसाइल प्रणाली हाइपरसोनिक हथियारों, फाइटर जेट्स और बैलिस्टिक मिसाइलों को भी नष्ट करने में सक्षम है.
रक्षा सहयोग, आतंकी हमलों और रक्षा उत्पादन पर भी हुई चर्चाबैठक में भारत-रूस रक्षा सहयोग, सीमा-पार आतंकवाद और वायु रक्षा, एयर-टू-एयर मिसाइलों और हवाई प्लेटफॉर्म्स के उन्नयन पर भी बातचीत हुई. बेलौसोव ने पहलगाम आतंकी हमले पर भारत के साथ एकजुटता जाहिर की और भारत-रूस के दीर्घकालिक संबंधों की सराहना की.

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