अंग्रेजों के समय में बनी ऐतिहासिक पुरानी भारत-तिब्बत सड़क अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। किन्नौर के रारंग के पूर्व प्रधान भगत सिंह नेगी ने इस महत्वपूर्ण मार्ग को फिर से बहाल करने की मांग की है। उनका प्रस्ताव है कि इसे मोटर योग्य सड़क के रूप में विकसित कर धरोहर मार्ग घोषित किया जाए। भगत सिंह नेगी ने बताया कि लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में तिब्बत के साथ व्यापार और अन्य गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस सड़क का निर्माण शुरू हुआ था। उस समय तिब्बत, मध्य एशिया का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था। किन्नौर के वांगतू से नामज्ञा तक इस सड़क के निर्माण में बाबा भलकु का विशेष योगदान रहा है। यह तथ्य इसके सामरिक और ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाता है। आज की सरकारें नहीं दे रही ध्यान भगत सिंह नेगी का कहना है कि अंग्रेजों ने जिस दूरदर्शिता से इस मार्ग का निर्माण किया था, उस पर आज की सरकारें ध्यान नहीं दे रही हैं। उन्होंने कहा कि भले ही आज सभी गांव संपर्क सड़कों से जुड़े हैं, लेकिन कुछ गांव अभी भी पुरानी हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। पूर्व प्रधान ने इस सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग 5 (NH 5) के लिए एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। उनका मानना है कि यह आपातकालीन स्थितियों में महत्वपूर्ण होगा। साथ ही क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। सड़क के बहाल होने से ग्रामीणों को अपनी कृषि उपज मंडियों तक पहुंचाने में आसानी होगी। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। प्रदेश के कई नेताओं से की मुलाकात नेगी ने बताया कि उन्होंने इस सड़क को मोटर योग्य बनाने के लिए केंद्र और प्रदेश के कई नेताओं से मुलाकात की है। उन्होंने पत्राचार भी किया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। हाल ही में, उन्होंने सांसद अनुराग ठाकुर के माध्यम से यह मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने भी उठाया है। भगत सिंह नेगी ने केंद्र व राज्य सरकार से उचित कदम उठाने का आग्रह किया है।
भारत-तिब्बत सड़क को फिर से बहाल करने की मांग:किन्नौर में पूर्व प्रधान बोले- धरोहर मार्ग घोषित किया जाए, अंग्रेजों के शासन में बनी थी
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