भाषा पर संग्राम जारी, राज्यपाल के बयान पर उद्धव ठाकरे गुट ने कहा, ‘महाराष्ट्र नहीं तो भूटान में बोलेंगे मराठी?’

by Carbonmedia
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महाराष्ट्र में भाषा को लेकर उठा विवाद थमने का नहीं ले रहा है. मराठी भाषा विवाद पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि हिंसा और नफरत से महाराष्ट्र में कोई निवेश करने नहीं आएगा. वहीं अब इस पर उद्धव ठाकरे गुट की प्रतिक्रिया सामने आई है.
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के बयान पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता आनंद दुबे ने कहा, “हम राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से कहना चाहते हैं कि कोई भी हिंसा का समर्थन नहीं कर सकता. मराठी केवल एक भाषा नहीं बल्कि एक संस्कृति है.” 
 

#WATCH | Mumbai | On Maharashtra Governor’s statement in violence over Marathi language row, Shiv Sena (UBT) leader Anand Dubey says,” We want to tell Governor CP Radhakrishnan that no one can support violence. Marathi is not just a language but a culture…We would like to ask… pic.twitter.com/1vvJTDRX6V
— ANI (@ANI) July 23, 2025

‘गुजरात में क्यों नहीं उठाते सवाल?’
उन्होंने आगे कहा, “हम राज्यपाल से पूछना चाहेंगे कि जब महाराष्ट्र के बाहर से व्यवसाय गुजरात जाते हैं तो वह कभी सवाल क्यों नहीं उठाते. हम उनसे मराठी भाषा सीखने और राज्य की संस्कृति को समझने का आग्रह करते हैं.” 
‘महाराष्ट्र नहीं तो भूटान में बोलेंगे मराठी’
आनंद दुबे ने ये भी कहा, “मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वह इस मुद्दे को विवादास्पद न बनाएं. अगर महाराष्ट्र में मराठी नहीं बोली जाएगी, तो क्या यह भूटान में बोली जाएगी? राज्य में मराठी भाषा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. हम आपसे आग्रह करेंगे कि आप अपना अगला भाषण मराठी में दें.”
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने क्या कहा?
बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने भाषा विवाद को लेकर कहा, “हमें ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखनी चाहिए और हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व महसूस होना चाहिए.
गवर्नर राधाकृष्णन ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा, ”जब मैं तमिलनाडु में सांसद था, तो एक दिन मैंने देखा कि कुछ लोग एक शख्स को पीट रहे थे, जब मैंने उनसे कारण पूछा तो वे हिंदी में बात कर रहे थे. इसके बाद होटल मालिक ने मुझे बताया कि उस शख्स को तमिल नहीं बोलने की वजह से पीटा जा रहा है.” 
‘नफरत से महाराष्ट्र को नुकसान’
उन्होंने ये भी कहा, “अगर हम इस तरह की नफरत फैलाएंगे, तो कौन महाराष्ट्र में कौन निवेश करने आएगा. इसका मतलब हम महाराष्ट्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं. मैं हिंदी समझने में असमर्थ हूं और यह मेरे लिए एक दिक्कत है.”

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