भिवानी की आधी आबादी में खून की कमी होगी दूर:एक माह में 2.5 लाख लोगों की होगी स्क्रीनिंग, कमी वालों की पहचान करके होगा उपचार

by Carbonmedia
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भिवानी में एनीमिया रोकने पर फोकस किया गया है। जिसके तहत एक महीने 1 जुलाई से 31 जुलाई तक विशेष स्क्रीनिंग अभियान चलेगा। जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग जिले के ढाई लाख लोगों की जांच करेंगा और पता लगाएगा कि उनमें एनीमिया की स्थिति क्या है। जिनमें खून की कमी मिलेगी, उनका उपचार किया जाएगा। भिवानी के सीएमओ डॉ. रघुवीर शांडिल्य ने कहा कि एनीमिया मुक्त भारत का मास बनाया जा रहा है। जो 1 जुलाई से 31 जुलाई तक चलेगा। इसका मुख्य उद्देश्य है कि एनीमिया को कम करना। एनीमिया को जागरूकता से ही कम कर सकते हैं। इसके लिए जिला अस्पताल, सीएचसी, एसडीएच सभी को टारगेट दिया है। जिसके तहत एक महीने में करीब ढाई लाख लोगों का एनीमिया जांच करेंगे। इस जांच में जिसमें खून की कमी मिलती है, उसको हर महीने दवाई देकर ठीक करेंगे। 11 ग्राम से कम खून वाले एनीमिया ग्रस्त
प्रत्येक सीएचसी को टारगेट दिया है। जिसके तहत वे जांच करेंगे। शरीर में खून की मात्रा (एचबी) 11 ग्राम से जितनी नीचे आती है, वह एनीमिया ग्रस्त होता है। खासकर महिलाओं में इसकी संख्या ज्यादा होती है। वहीं 40-60 प्रतिशत तक एनीमिया ग्रस्त लोग हैं, अलग-अलग आयु वर्ग में। इसमें तभी सुधार कर सकते हैं, जब नियमित जांच करवाएं। जांच के बाद प्रोटीन डाइट लें और आयरन युक्त खाना खाएं। आयरन के लिए गुड़, चने, हरी सब्जी व प्रोटीन के लिए दाल, चने की दाल, सोयाबीन, दही व लस्सी का सेवन करें। हेल्दी खाना खाएं, जो खाना खाने से ठीक नहीं होगा, आयरन की टैबलेट लें। 5-7 दिन आयरन की गोली खाने से खून की कमी पूरी नहीं होती। कम से कम 1 महीना गोली खाने से एक ग्राम खून बढ़ता है। जागरूकता के लिए कैंप भी लगा रहे हैं। हर साल होती है 4-5 लाख लोगों की जांच
सीएमओ डॉ. रघुवीर शांडिल्य ने कहा कि जिलें में 7 सीएचसी, 4 एसडीएच, 141 स्वास्थ्य सेंटर व एक अस्पताल है। जिसमें एनीमिया के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं। फिलहाल जांच की जाएगी, जिसमें खून की कमी मिलेगी, उसे एक महीने की दवाई दी जाएगी। दोबारा चेक करने पर भी कमी मिलती है तो दूसरे महीने की दवाई दी जाएगी। जब तक खून की कमी ना हो जाए। जिले में करीब साढ़े 12 लाख जनसंख्या है, हर साल मुहिम चलाकर 4-5 लाख लोगों की जांच की जाती है। 15-35 साल के स्वस्थ लोगों में 20-30 प्रतिशत एनीमिया होता है। गर्भवती महिलाओं में 40-65 प्रतिशत तक हो जाता है। बच्चों में एनीमिया कम होता है। डॉ. रघुवीर शांडिल्य ने कहा उनका प्रयास है कि डिलीवरी के दौरान कोई भी महिला एनीमिया ग्रस्त ना रहे। इसके लिए खून चढ़ा सकते हैं, दवाई दे सकते हैं या फिर पौष्टिक भोजन देकर एनिमिया को दूर सकते हैं। खून की कमी होने पर थकान होती है, काम करने का मन नहीं करेगा, शरीर पीला और ग्रोथ रुक जाती है। शरीर की ताकत एचबी है।

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