भिवानी के गांव उमरावत के मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम सांग का आयोजन किया गया। इसमें सांगी कलाकारों ने धूम मचाई। इस दौरान दादा लख्मीचंद द्वारा रचित शाही लकड़हारे के सांग मंचन करते हुए उनके पौत्र विष्णु दत्त कौशिक व अन्य सहयोगी कलाकारों ने बताया कि इंसान पर कितना भी बुरा समय आ जाए पर उसको कभी भी धर्म के रास्ते को नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि जीत हमेशा सत्य की होती है, जो इंसान विपरीत परिस्थिति में भी धर्म के मार्ग को नहीं छोड़ते तो उनको कोई हरा नहीं सकता। इसलिए इंसान को हमेशा पुण्य कार्य करते हुये धर्म मार्ग पर चलना चाहिए। हरियाणा कला परिषद के तत्वाधान में गांव उमरावत के मंदिर में 27 से 30 जुलाई तक आयोजित हुए 4 दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में सांगी कलाकारों ने जमकर समां बांधा व आगंतुओं को अपने सांग के माध्यम से भाव विभोर कर दिया। इस सांग के आयोजनकर्ता बाबा बलदेव दास सेवा समिति के सदस्य थे जबकि पूरे गांव ने इसमें सहयोग दिया। कई रागनियां सुनाई
इस दौरान मानस की के पार बसाव जब हर की माया के जीवे एकले का बन मे जब बालक की मां मर ली…, में दु:खिया कंगाल मेरे त के मतलब थारा पकड़ मन कित ले जाओगे…, बिना बोली सीस झुका के साजन के संग मे आके चाहे किते बेच लिए हा के छन कंगन मेरी जान है आदि अनेक रागनी सुना आये हुये श्रोताओं का मनोरंजन किया। इस अवसर पर बाबा बलदेव दास समिति वा गांव और सभी हरियाणवी संस्कृति प्रेमियों ने सूर्य कवि पंडित लख्मी चंद के पौत्र विष्णु दत का पगड़ी पहना कर स्वागत किया। सूर्य कवि पंडित लख्मीचंद आश्रम के सदस्य लक्ष्मीदत्त वत्स ने कहा कि हरियाणा कला परिषद इस प्रकार के कार्यक्रमों का समय-समय पर आयोजन करवाती रहती है। इस प्रकार के कार्यक्रमों से हमारी संस्कृति जीवित रहती है। आज की युवा पीढ़ी हमारे द्वारा दिखाई गई राह पर चलती है तो हम अपनी संस्कृति को बचा पाऐंगे।
भिवानी सांग में दादा लख्मीचंद के पौत्र पहुंचे:विष्णु दत्त कौशिक बोले- कितना भी बुरा समय आए धर्म का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए
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