यूपी के गोरखपुर के दूसरी बार सांसद बने फिल्म अभिनेता रविकिशन आज 56वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनका जन्म 17 जुलाई 1969 को हुआ था. गांव की पगडंडियों से निकलकर सामान्य पुजारी पिता और मां की परवरिश और कड़ी मेहनत के बूते उन्होंने बॉलीवुड के साथ साउथ और भोजपुरी फिल्मों में झंडा बुलंद किया. वे लग्जरी गाडि़यों और धोती-कुर्ता पहनने के बेहद शौकीन हैं.
सांसद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद साल 2018 में हुए उप चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी के रूप में रविकिशन ने पहली बार चुनाव लड़कर जीत हासिल की. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार चुनाव जीतकर उन्होंने शीर्ष नेतृत्व और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विश्वास जीत लिया. सांसद रविकिशन को हाल ही में आइफा अवार्ड से सम्मानित किया गया है. 26 जुलाई को उन्हें संसद रत्न अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. वहीं ऑस्कर की दौड़ में शामिल लापता लेडीज में शानदार और दमदार अभिनय से भी सुर्खियों में रहे.
जनता के लिए भंडारा आयोजित
गोरखपुर के सांसद रविकिशन अपने जन्मदिन पर गोरखपुर के रामगढ़ताल स्थित आवास पर आम जनता के लिए भंडारा का आयोजन कर रहे हैं. गोरखपुर शहर के दक्षिणांचल के चिल्लूपार विधानसभा के ‘शुक्ल’ ब्राह्मणों का गांव ‘मामखोर’ से देश-दुनिया के सभी शुक्ल ब्राह्मणों की जड़ें जुड़ी हैं. मामखोर के बहुत से ‘शुक्ल ब्राह्मण’ देश के अलग-अलग शहर और अलग-अलग देशों में जाकर बसें हैं. गोरखपुर के भाजपा सांसद रविकिशन की जड़ें भी इसी मामखोर गांव से जुड़ी है. वे हिन्दी, भोजपुरी, साउथ की अलग-अलग भाषाओं की 700 से अधिक फिल्में कर चुके हैं. यहां ‘मामखोर’ का जिक्र हम यूं ही नहीं कर रहे हैं. ‘मामखोर’ का जिक्र यहां इसलिए भी हो रहा है क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर का ये गांव साल 2019 के चुनाव के पहले अचानक ही पूरी दुनिया में सुर्खियों में आ गया है. इसकी वजह भी साफ है. साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब गोरखपुर लोकसभा सीट खाली हुई, तो यहां पर साल 2018 में उपचुनाव हुए. इस उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. पांच बार से सांसद रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के लिए ये बड़ा झटका रहा है.
सपा को शिकस्त देने रविकिशन आगे आए थे
ऐसे में साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उपचुनाव में जीत हासिल करने वाली सपा को कैसे शिकस्त दी जाय, इसको लेकर मंथन होने लगा. लेकिन, शीर्ष नेतृत्व की ओर से कई बार बैठक के बाद भी प्रत्याशी को लेकर चेहरा साफ नहीं हो पाया. ऐसे में अंततः फिल्म अभिनेता रविकिशन के नाम पर मुहर लग गई. भाजपा उम्मीदवार के रूप में उनके गोरखपुर आने के पहले ही उनके ऊपर बाहरी होने का ठप्पा लगा दिया गया.
सोशल मीडिया पर भी विपक्षियों ने खूब माहौल बनाया. लेकिन, रविकिशन ने इससे हार नहीं मानीं. वे बड़ी ही सादगी से लोगों के बीच इस बात को रखते रहे हैं कि वे और उनके पूर्वज चिल्लूपार के ‘मामखोर’ के रहने वाले हैं. इसे साबित करने के लिए वे मामखोर गांव भी गए और वहां की माटी को माथे से भी लगाया. वहां के दुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना कर जीत का आशीर्वाद लेने के साथ वहां के लोगों से मुलाकात भी की.
पूर्वज जौनपुर में बस गए थे
रविकिशन ऐसी शख्सियत हैं, जिनके पूर्वज बरसों पहले गोरखपुर के मामखोर से निकलकर जौनपुर जाकर बस गए थे. उनके माता-पिता कई सालों तक मुंबई में दूध के कारोबार से जुड़े रहे. वहीं पर रविकिशन का साल 1969 में जन्म हुआ. रविकिशन के जन्म के कुछ साल बाद उनका परिवार वापस जौनपुर चला आया. लेकिन, उनकी किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था. नतीजा ‘मामखोर’ का लाल रियल लाइफ के स्ट्रगल को झेलता हुआ रील लाइफ यानी फिल्मी दुनिया में संघर्ष करते हुए दुनिया में पहचान बनाकर गांव का नाम रोशन किया.
रविकिशन जब साल 2019 में को अब मंदिर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस सीट से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया, जिस पर भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी. रील लाइफ के ‘मामखोर’ के हीरो रविकिशन के लिए इस सीट को जीतना कितना अहम रहा है, ये उन्हें अच्छी तरह से पता था. यही वजह है कि बाहरी होने के आरोपों का जवाब देने के लिए जब वे ‘मामखोर’ गांव पहुंचे, तो न सिर्फ वहां की माटी में मस्तक झुकाया. बल्कि, वहां के लोगों के बीच से ये संदेश भी दिया कि वे यहीं की माटी के लाल हैं. उन्होंने वहां के दुर्गा मंदिर में मत्था टेककर आशीर्वाद भी लिया और कहा कि मामखोर का ये लाल अब रील लाइफ से निकलकर रियल लाइफ में गोरखपुरवासियों के लिए कुछ करने के लिए वापस आया है.
सांसद रविकिशन का रेयर ‘बी’ नेगेटिव ब्लड ग्रुप है.
सांसद रवि किशन का रेयर ‘बी’ निगेटिव ब्लड ग्रुप है. वे कहते हें कि रेयर बी निगेटिव ब्लड ग्रुप होने के नाते वे बहुत से लोगों की भविष्य में जिंदगी बचा सकेंगे. वे रक्तदान के लिए संकल्पित हैं. उनका ब्लड ग्रुप ‘बी’ नेगेटिव है. वे रक्त की जरूरत पड़ने पर लोगों की मदद कर सकते हैं.
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