भोजपुर में गंगा ने मचाई तबाही: जवईनिया गांव के 150 से ज्यादा घर नदी में समाए, राहत शिविर बना बसेरा

by Carbonmedia
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भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड अंतर्गत दामोदरपुर पंचायत के जवईनिया गांव में गंगा नदी के तेज कटाव ने विकराल रूप धारण कर लिया है. अब तक गांव के वार्ड संख्या चार और पांच के करीब 150 से ज्यादा घर गंगा में समा चुके हैं. हर दिन गांव की मिट्टी खिसक रही है, लोगों के आशियाने गंगा के गर्भ में समा रहे हैं और सपनों के घर बर्बादी की कहानी बनते जा रहे है. 
इतिहास बनकर रह जाएगा जवईनिया गांव! 
हर रोज घर नदी में कटाव हो रहे हैं, लोग अब अपने गांव को छोड़कर कहीं दूर बसने को मजबूर हैं. गंगा नदी के कटाव को देखने से ऐसा लगता है की आने वाले कुछ दिनों में जवईनिया गांव केवल एक इतिहास बनकर रह जाएगा. गंगा नदी उत्तर के दिशा से गांव को काट रही है जो अब गांव के दक्षिण दिशा के अंतिम छोर तक पहुंच गई है गंगा नदी जहां तक पहुंची है वहां केवल गांव का मध्य विद्यालय ही बचा हुआ है पूरा गांव खाली है.
प्रशासन की ओर से राहत कार्य चलाया जा रहा है. फिलहाल गांव के सैकड़ों लोग तटबंधों पर बनाए गए टेंटों में रह रहे हैं. राहत शिविरों में भोजन, पीने का पानी और प्लास्टिक सीटों की व्यवस्था की गई है, लेकिन बारिश और धूप में यह राहत नाकाफी लग रही है. गांव में मातम पसरा हुआ है, बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक बेसहारा हालात में हैं. महिलाएं रो रही हैं, पुरुष घरों को ताले लगाकर रिश्तेदारों के यहां या अस्थायी ठिकानों पर शरण लिए हुए हैं. 
गंगा के लगातार हो रहे कटाव के कारण गांव के कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी नदी में समा चुके हैं. घुरूहु ब्रह्म बाबा का मंदिर, वृक्षदंड ब्रह्म बाबा का मंदिर, गोवर्धन मंदिर और मां काली मंदिर अब सिर्फ यादों में शेष हैं. यहां तक कि नल-जल योजना की पानी टंकी और विशाल वृक्ष भी कटाव की भेंट चढ़ चुके हैं.
हालांकि गंगा का जलस्तर अब खतरे के लाल निशान से थोड़ा नीचे आया है, लेकिन कटाव थमा नहीं है. प्रशासन द्वारा राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है, ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को केवल तात्कालिक राहत नहीं, बल्कि दीर्घकालिक समाधान की ओर ध्यान देना चाहिए. स्थायी तटबंध, नदी मार्ग नियमन और कटावरोधी ठोस कदमों की आज सबसे ज्यादा जरूरत है. साथ ही, विस्थापित परिवारों को न सिर्फ भौतिक बल्कि भावनात्मक और सामाजिक सहायता भी दिए जाने की मांग की जा रही है.
गांव का माहौल बेहद गमगीन है. गंगा की धारा में अपना घर, खेत और सपने खो चुके लोग फूट-फूट कर रो रहे हैं. महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हे तटबंध के आसपास भटक रहे हैं. हर किसी के मन में यही सवाल है- “अब कहां जाएं? क्या करें? जीवन फिर से कैसे शुरू होगा?”
लोगों ने की स्थायी समाधान की मांग तेज
जवईनिया गांव के लोग सरकार से स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि हर साल इस तरह की तबाही उनके जीवन को तबाह कर रही है. अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भयावह हो सकती है.
गांव के मुखिया प्रतिनिधि ने बताया कि लगभग 70 गांव गंगा में विलीन हो चुका है जवानिया गांव में दामोदरपुर पंचायत के वार्ड नंबर चार और पांच मिलाकर लगभग 2500 लोग रहते हैं, गांव के लोगों ने सरकार से मांग की है कि हमें पैसा नहीं हमें कहीं घर बनाकर दे दिया जाए हम लोग को यही मुआवजा चाहिए. गांव में जो ठोकर बांध बन रहा था उसका काम ठीक से नहीं हुआ जिसके चलते आज यह नतीजा है कि आज गांव विलीन हो गया, जो ठोकर बांध बन रहा था उसका हम लोग विरोध किए थे कि ठीक से नहीं बन रहा है. गांव का जो हिस्सा बचा है उसको बचाने के लिए बोल्डर पीचिंग कराया जाए और अच्छे से ठोकर बंद बनाया जाना चाहिए.
गांव के निवासी जाखड़ चौधरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ था, जिसमें उनके घर उनके आंख के सामने गंगा में विलीन हो गया इसके बाद वह खूब रो रहे थे उन्होंने बताया कि मेरी चार पुश्ते इस गांव में रह रहे थे. 16 लाख रुपये लगाकर मैंने लगभग डेढ़ कट्ठे से ज्यादा की जमीन में घर बनाया हुआ था. साल दर साल की मेहनत से जुड़े गए पैसे से उन्होंने 11 कमरे का घर बनाया था, जो अब गंगा में विलीन हो गया. अभी वह पूरे परिवार के साथ बांध पर रहते हैं. सरकार से मांग करते हैं कि पहले जैसा घर था वैसा बन जाए उनके अनुसार काम से कम 200 घर गंगा में विलीन हो गए.
आंधी- पानी के बीच गंगा में उठी तेज लहरों ने बीते शुक्रवार को शाहपुर के जवईनिया गांव के फिर 11 घरों को निगल लिया. पीड़ितों के बीच राहत और बचाव कार्य में जिला प्रशासन युद्ध स्तर पर जुटा है. जिल प्रशासन और बक्सर बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के अधिकारी एवं अभियंता कैंप कर रहे हैं.

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