Bhopal Metro Project: मध्य प्रदेश राजधानी भोपाल की बहुप्रतीक्षित मेट्रो परियोजना, जिसे शहर के यातायात को आधुनिक और सुगम बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था. सात साल बीत जाने के बाद भी पूरी तरह ट्रैक पर नहीं आ सकी है. वर्ष 2018 में केंद्र सरकार से डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद 2019 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन आज तक सिर्फ 7.5 किमी लंबा प्राथमिक रूट भी तैयार नहीं हो पाया है.
दरअसल, भोपाल और नागपुर दोनों को ही 2011 में मेट्रो प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली थी. नागपुर में मात्र 33 महीनों में 6 किमी मेट्रो ट्रैक बनकर तैयार हो गया और वहां संचालन भी शुरू हो गया. वहीं भोपाल में सात साल बाद भी अभी तक 7 किमी ट्रैक भी पूरी तरह तैयार नहीं हो सका है.
बार-बार नेतृत्व परिवर्तन ने बिगाड़ी रफ्तार
भोपाल मेट्रो के काम में एक बड़ी बाधा रही है नेतृत्व का बार-बार बदलना. अब तक 12 बार एमडी बदले जा चुके हैं, जिससे परियोजना में निरंतरता की कमी रही. सबसे पहले जुलाई 2015 में गुलशन बामरा को एमडी बनाया गया था, पर दो महीने बाद ही उन्हें हटा दिया गया. इसके बाद विवेक अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल, संजय दुबे, नितेश व्यास, मनीष सिंह, छवि भारद्वाज, निकुंज श्रीवास्तव, नीरज मंडलोई, सीबी चक्रवर्ती और वर्तमान में एस. कृष्ण चैतन्य को एमडी बनाया गया.
कोरोना, भूमि विवाद और तकनीकी अड़चनें बनी रुकावट
मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि कोरोना महामारी, लीडरशिप में बदलाव और भूमि अधिग्रहण से जुड़ी कानूनी बाधाएं, जैसे पुष्ठा मिल की जमीन पर स्वामित्व विवाद, निर्माण में देरी का मुख्य कारण हैं. इसके अलावा रेलवे ट्रैक पर ओवरब्रिज निर्माण में समय लगने से भी प्रगति प्रभावित हुई.
ट्रायल रन हुआ, पर कमर्शियल रन में देरी
अक्टूबर 2023 में सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन के बीच ट्रायल रन किया गया था. पहले यह 6.2 किमी का प्राथमिक गलियारा था, जिसमें छह स्टेशन शामिल थे. बाद में इसमें तीन और स्टेशन, एम्स, डीआरएम चौराहा और अलकापुरी जोड़े गए, जिससे रूट की लंबाई बढ़कर 7.5 किमी हो गई.
अधिकारियों का दावा है कि अब अगस्त-सितंबर 2025 तक कमर्शियल संचालन शुरू करने का लक्ष्य तय किया गया है, हालांकि पूर्व में घोषित समयसीमाएं लगातार खिसकती रही हैं.
भारी भरकम बजट, धीमी प्रगति
भोपाल मेट्रो परियोजना की कुल लागत 6941 करोड़ रुपये आंकी गई है. प्रथम चरण में दो प्रमुख लाइनें बननी हैं:
ऑरेंज लाइन: करोंद चौराहा से एम्स भोपाल तक – 14.99 किमी में 16 स्टेशन.
ब्लू लाइन: भदभदा चौराह से रत्नागिरी तिराहा तक – 12.91 किमी में 13 स्टेशन.
अब तक ट्रैक बिछाने, स्टेशन निर्माण और ओवरब्रिज जैसे प्रमुख कार्यों में ही वर्षों बीत चुके हैं.
जनता में निराशा, जवाबदेही गायब
भोपाल के नागरिकों में इस देरी को लेकर भारी निराशा है. प्रशासनिक सुस्ती, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और समन्वयहीनता ने एक महत्वाकांक्षी परियोजना को अधर में डाल दिया है. जब मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर सिस्टम सोभित टंडन और प्रभारी एमडी संकेत भोंडवे से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
जानिए भोपाल मेट्रो परियोजना में कब क्या हुआ?
अक्टूबर 2018 : केंद्र ने डीपीआर को मंजूरी दी
नवंबर 2018 : टेंडरिंग प्रक्रिया की शुरुआत
दिसंबर 2018 : मृदा परीक्षण शुरू हुआ
जनवरी 2019: एम्स से सुभाष नगर के बीच एलिवेटेड वायडक्ट का कार्य प्रारंभ
अगस्त 2019-2023 तक मेट्रो संचालन का लक्ष्य घोषित
अगस्त 2021 : आठ स्टेशनों के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू
मार्च 2022: मेट्रो डिपो के निर्माण का ठेका अलॉट किया गया
मई 2023 : रेलवे ओवरब्रिज निर्माण को मंजूरी मिली
अक्टूबर 2023 : ट्रायल रन सफलतापूर्वक किया गया
दिसंबर 2023 : प्राथमिकता रूट पर ट्रैक बिछाने का कार्य पूर्ण