हरियाणा के पूर्व मंत्री और कद्दावर नेता कैप्टन अजय सिंह यादव का भतीजा किसानों को मिले मुआवजे में हुए भ्रष्टाचार के केस में फंस गया है। कैप्टन यादव का भतीजा रणविजय सिंह सुल्तानिया फतेहाबाद में तहसीलदार रहा है। वह कैप्टन अजय यादव के बड़े भाई स्व.अजीत सिंह का बेटा है। रणविजय पर तहसीलदार रहते हुए नायब तहसीलदार, पटवारी, कानूनगो के साथ मिलकर मुआवजे की राशि हड़पने का आरोप लगा है। आरोप भी सीएम फ्लाइंग ने लगाए हैं। तत्कालीन तहसीलदार रणविजय सुल्तानिया, नायब तहसीलदार राजेश गर्ग समेत 27 लोगों पर सीएम फ्लाइंग के एसआई राजेश कुमार की शिकायत पर फतेहाबाद सिटी थाने में केस दर्ज हुआ है। यह है पूरा मामला दरअसल, डीसी कार्यालय फतेहाबाद में 30 सितंबर 2021 के अनुसार अबीमित फसल वाले किसानों को 5 एकड़ तक 9500 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाना था। मगर आरोपी तत्कालीन तहसीलदार रणविजय सुल्तानियां, नायब तहसीलदार राजेश गर्ग, पटवारी राजेंद्र प्रसाद, कानूनगो पिरथी सिंह काकड़, मंगतराम, राजाराम, सतपाल, बनवारी लाल ने ढाणी मियां खां के कमलजीत व राहुल, गांव बड़ोपल के सुरजीत व सुंदर उर्फ बिल्ला से मिलीभगत करके मुआवजा वितरण सूची में किसानों के फर्जी नाम लिखकर अपने निजी व्यक्तियों के बैंक खाते देकर बैंक में मुआवजा ट्रांसफर के लिए सूची दे दी। पुलिस ने इन अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ-साथ महाबीर, संतरो देवी, चंद्रमोहन, रामनिवास, शेर सिंह, मतेरी, सुमन, जगरूप, सुंदर उर्फ बिल्ला, सुरजीत, कमल, राजपाल, सुमन, राहुल, दीपेंद्र, वकील, कुसुम, महेंद्र सिंह व सुशील के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। जानिए… कैसे किया गया फ्रॉड 1. 3696 एकड़ के लिए जारी किए गए थे 3.51 करोड़ रुपए 2021 में जलभराव के कारण गांव बड़ोपल की कुल 4475 एकड़ जमीन में खरीफ की फसल नष्ट होने की रिपोर्ट तैयार की गई थी, जिस पर सरकार ने 2022 में 3696 एकड़ के लिए 3 करोड़ 51 लाख 18 हजार 895 रुपए मुआवजा राशि जारी कर दी। राजस्व विभाग के इन अधिकारियों ने 2 करोड़ 77 लाख 37 हजार 790 रुपए का वितरण दिखाकर 73 लाख 81 हजार 105 रुपए वापस सरकार को भेज दिए। मुआवजा वितरण में राशि गांव बड़ोपल के पटवारी राजेंद्र प्रसाद के निजी सहायक सुंदर उर्फ बिल्ला, सुरजीत, ढाणी मियां खां के कमलजीत, राजपाल, राजपाल की पत्नी सुमन, राहुल के खातों में डाल दी। 2. फसल खराबे की सूची में नाम ही नहीं था, फिर भी डाली राशि विशेष बात यह है कि कमलजीत, राजपाल, सुमन व राहुल का नाम गांव बड़ोपल की फसल खराबे की वितरण सूची में दर्ज ही नहीं था। वहीं, सुशील व सुमन काजलहेड़ी के निवासी हैं। उनके खाते में भी राशि डाल दी। वकील तत्कालीन तहसीलदार की गाड़ी का ड्राइवर था। पटवारी राजेंद्र के भतीजे दीपेंद्र, शेर सिंह, शेर सिंह की बहनें भतेरी व सुमन, शेर सिंह के बेटे जगरूप उर्फ जगरोशन के खातों में मुआवजा राशि डाल दी गई। 3. डेढ़ साल तक दबा कर रखी गई जांच 2021 में जलभराव से खराब हुई फसल के लिए जिले के बड़ोपल, चिंदड़, कुम्हारिया, काजलहेड़ी, खजूरी, भोडा होशनाक, बीघड़, धारनिया, मोहम्मदपुर रोही, माजरा, बिसला, खैरातीखेड़ा, सहित 19 गांवों में मुआवजा वितरण किया गया था। करीब 2 वर्ष पहले गुप्तचर विभाग की रिपोर्ट पर सीएम फ्लाइंग ने तीन गांव बड़ोपल, खाराखेड़ी और चिंदड की जांच की थी। मगर डेढ़ साल तक जांच दबाकर रखी गई। अब भी मात्र एक गांव बड़ोपल के मामले में ही केस दर्ज किया गया है। रणविजय बोले, मैंने कोई गलती नहीं की इस संबंध में दैनिक भास्कर से बातचीत में डीआरओ रणविजय सुल्तानिया ने कहा कि मैंने कोई गलती नहीं की है। पटवारी-कानूनगो ने जो रिपोर्ट दी, उसी आधार पर मुआवजा वितरण किया गया है। उस टाइम प्रेशर ज्यादा था, फटाफट वितरण करना था।
भ्रष्टाचार में फंसा कैप्टन अजय यादव का भतीजा:फतेहाबाद में रहा था तहसीलदार, दो अधिकारियों समेत 27 पर हुई FIR
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