मजीठिया की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस नेताओं में हलचल:पूर्व सीएम चन्नी सहित कई नेता विजिलेंस के निशाने पर; परगट संपर्क भी रडार पर

by Carbonmedia
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पंजाब के पूर्व मंत्री बिक्रम मजीठिया की नशा और आय से अधिक संपत्ति मामले में विजिलेंस ब्यूरो द्वारा गिरफ्तारी के दो दिन बाद अब कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता सतर्क हो गए हैं। विजिलेंस पहले से ही कई कांग्रेस नेताओं के खिलाफ जांच कर रही है, जिससे पार्टी में बेचैनी का माहौल है। सूत्रों के अनुसार, मजीठिया के बाद अगला नंबर पूर्व मंत्री परगट सिंह का हो सकता है, जो बीते कुछ दिनों से किसी के संपर्क में नहीं हैं। अंतिम बार वे लुधियाना के पूर्व विधायक भारत भूषण आशु के साथ नजर आए थे। बीते तीन दिनों से वे किसी के संपर्क में नहीं हैं। उनके और उनके पीए के फोन पिछले तीन दिनों उठाए नहीं जा रहे हैं। दैनिक भास्कर ने आज भी उनसे संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं, उन पर आरोप है कि उन्होंने पंजाब यूथ स्पोर्ट्स कारपोरेशन के चेयरमैन रहते हुए सरकारी फंड का दुरुपयोग किया और अनुचित तरीके से ठेके दिए। कांग्रेस नेताओं की लिस्ट पर विजिलेंस की नजर जिन कांग्रेस नेताओं के खिलाफ विजिलेंस जांच जारी है उनमें पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पीपीसीसी प्रमुख और लुधियाना के सांसद अमरिंदर राजा वड़िंग, विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा और परगट सिंह, पूर्व मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा और विजय इंदर सिंगला शामिल हैं। पूर्व विधायक कुशलदीप सिंह ढिल्लों और पूर्व मंत्री ओपी सोनी के खिलाफ पहले ही चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। चन्नी कर चुके इशारा: अगला निशाना परगट सिंह व वे खुद जलंधर से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पहले ही कह चुके हैं कि सरकार का अगला निशाना परगट सिंह हैं। जो नेता सरकार के खिलाफ बोलते हैं, उन्हें टारगेट किया जा रहा है। उन्हें भी काफी समय से घेरा जा रहा है। वहीं, पीपीसीसी अध्यक्ष अमरिंदर राजा वड़िंग ने कहा था कि अगर सरकार कांग्रेस नेताओं के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करती है तो पार्टी इसे सियासी बदले की कार्रवाई के रूप में उजागर करेगी। 2027 में खुद को मजबूत कर रही आप राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार आम आदमी पार्टी 2027 विधानसभा चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी छवि मजबूत करने के प्रयास में है। कांग्रेस नेताओं की संभावित गिरफ्तारी और जांच को इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए दिक्कतें पैदा हो सकती हैं और ये AAP का खुद को मजबूत करने की तरफ कदम होगा।

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