मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर तुरंत कोई आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट ने मना किया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि वह नई याचिका को पहले से लंबित याचिकाओं के साथ सुनेगा.
निश्चय सोनबिरसे नाम के याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की अधिसूचना 2019 में जारी हुई थी, लेकिन अब तक आरक्षण 14 प्रतिशत बना हुआ है. 2019 में हाई कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश दिया था, लेकिन अधिसूचना पर कोई रोक नहीं है. एडवोकेट जनरल की कानूनी सलाह को आधार बना कर राज्य सरकार अधिसूचना को लागू नहीं कर रही है.
25 जून को सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच ने मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था. शुक्रवार (4 जुलाई, 2025) को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि इसी मामले पर कई याचिकाएं पहले से लंबित हैं. ऐसे में यह समझ से परे है कि एक नई याचिका क्यों दाखिल हुई है और बाकी याचिकाओं की सुनवाई हुए बिना याचिकाकर्ता आदेश की मांग कैसे कर रहा है.
यह जानकारी सामने आते ही जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने सुनवाई स्थगित कर दी. कोर्ट ने नई याचिका को पहले से लंबित केस के साथ जोड़ दिया. अब सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई होगी.
मध्य प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, पहले से लंबित याचिकाओं के साथ होगी सुनवाई
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