Hindi Compulsory In Maharashtra: महाराष्ट्र में पहली से 5वीं तक के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाए जाने पर सियासी बवाल जारी है. इस बीच एनसीपी एसपी के अध्यक्ष शरद पवार ने भी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा, “इसे वैकल्पिक ही रहना चाहिए. जो लोग हिंदी चुनना चाहते हैं, वे इसे चुन सकते हैं. सिर्फ इसलिए कि 50 से 60 प्रतिशत आबादी हिंदी बोलती है, इस भाषा को सभी के लिए अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता.”
उद्धव ठाकरे ने किया विरोध
इससे पहले शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हिंदी का विरोध किया. उन्होंने गुरुवार (19 जून) को कहा कि हिंदी थोपी क्यों जा रही है? देवेंद्र फडणवीस, अगर हिम्मत है तो हिंदी थोपकर दिखाइए. मुझे नहीं पता गुजरात में थोप रहे हैं या नहीं?
उद्धव ठाकरे ने कहा, ”मुंबई में हिंदू बनाम हिंदू की मारकाट करवाने की तैयारी है. हिंदी थोपने नहीं देंगे, देवेंद्र फडणवीस जो करना है कर लीजिए. अगर थोपनी है तो गुजरात में जाकर थोपिए.” एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे और कई अन्य मराठी संगठनों ने भी हिंदी को अनिवार्य बनाए जाने का विरोध किया.
देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
विरोध को लेकर पिछले दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आलोचना की. उन्होंने कहा, ”केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उचित विचार-विमर्श के साथ पूरे देश में 3 भाषा नीति लाई है. एनईपी पूरे देश के लिए है और महाराष्ट्र दो भाषा नीति नहीं अपना सकता. तमिलनाडु 3 भाषा नीति के खिलाफ अदालत गया था, जिसे अदालत ने भी स्वीकार नहीं किया. अपनी क्षेत्रीय भाषा सीखते समय, यदि कोई छात्र एक अतिरिक्त भाषा सीखता है, तो इसमें क्या गलत है? अतिरिक्त भाषा उनके ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगी. विशेषज्ञों के साथ व्यापक चर्चा के बाद एनईपी लाया गया था.”
बता दें कि मंगलवार (17 जून) को जारी संशोधित सरकारी आदेश (जीआर) में कहा गया था कि हिंदी अनिवार्य होने के बजाय सामान्य रूप से तीसरी भाषा होगी, लेकिन इसमें यह विकल्प भी दिया गया है कि यदि किसी स्कूल में प्रति कक्षा 20 विद्यार्थी हिंदी के अलावा कोई अन्य भारतीय भाषा पढ़ने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो वे इसे छोड़ सकते हैं.
महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा बनाए जाने पर शरद पवार बोले, ‘इस भाषा को सभी के लिए…’
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