महाराष्ट्र में गोपनीय दस्तावेज लीक होने के लगे आरोप, विपक्ष ने उठाए कई सवाल

by Carbonmedia
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महाराष्ट्र में सरकार पर असली तथ्यों को छिपाने के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार, कुछ मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे नुकसान के जाल में उलझ चुके हैं. इन्हीं परिस्थितियों के चलते महाराष्ट्र के गोपनीय दस्तावेज कथित रूप से राष्ट्रविरोधी तत्वों के हाथ लग गए हैं.
हैरानी की बात यह है कि राष्ट्रपति ने कल स्पष्ट रूप से बयान मांगे जाने के बावजूद, सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.विपक्ष का दावा है कि उनके पास इस पूरे मामले से जुड़े पुख्ता सबूत मौजूद हैं, हालांकि वे किसी के चरित्र हनन की मंशा नहीं रखते.
घटना के CCTV फुटेज डिलीट किए जा रहे
विपक्ष का कहना है कि यदि सरकार इस मुद्दे पर जल्द कार्रवाई नहीं करती है, तो विपक्ष होने के नाते वे इन तमाम सच्चाइयों को जनता के सामने लाने के लिए बाध्य होंगे. इस घटना के सामने आने के बाद कई CCTV फुटेज कथित रूप से डिलीट किए जा रहे हैं, जिससे मामले पर और भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.
कांग्रेस नेता नाना पटोले ने छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति को लेकर कहा कि उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन कांग्रेस पहले ही इस विषय पर विरोध दर्ज करा चुकी है.
सरकार सिर्फ महाराज के नाम पर राजनीति करती है – नाना पटोले 
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब कांग्रेस सरकार सत्ता में थी, तब विधान भवन में महाराज की जो छोटी मूर्ति स्थापित थी, उसे बदलने का निर्णय हमारी सरकार ने ही लिया था क्योंकि वह मूर्ति उनके गौरव और आदर्शों के अनुरूप नहीं थी. 
उन्होंने वर्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार सिर्फ महाराज के नाम पर राजनीति करती है, लेकिन उनके विचारों को केवल मुट्ठी भर मिट्टी की तरह नजरअंदाज कर रही है.
विधानसभा में नियमों के उल्लंघन को लेकर सवाल उठने लगे
नाना पटोले ने बताया सिंधुदुर्ग में महाराज की मूर्ति का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, लेकिन घटिया निर्माण कार्य के चलते वहां दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ, जो साफ दर्शाता है कि सरकार की प्राथमिकता में केवल दिखावा है, विचार नहीं.
विधानसभा में नियमों के उल्लंघन को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं. कहा जा रहा है कि विधायकों ने निजी सहायकों को साथ लाना तक तो समझा जा सकता है, लेकिन कर्मचारियों को लॉबी में ले जाना नियमों का सीधा उल्लंघन है.
मामले में पुलिस रिपोर्ट को ही सही माना जा रहा
इस मामले में पुलिस रिपोर्ट को ही सही माना जा रहा है, जिससे स्पष्ट होता है कि नियमों की अनदेखी हुई है. वहीं, मेघा इंजीनियरिंग से जुड़ी सरकारी नीतियों पर भी विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
आरोप है कि जब राज्य के सरकारी खजाने में पर्याप्त धन नहीं है, स्कूल बंद किए जा रहे हैं, किसानों को समय पर सहायता नहीं मिल रही है और आम जनता की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं, तब शराब के ठेके तेजी से खोले जा रहे हैं.
इन सबके बीच मेघा इंजीनियरिंग जैसी कंपनियों को लाभ पहुंचाने की नीतियों पर गंभीर सवाल उठते हैं.

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