Maharashtra Politics: एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार (26 जून) को कहा कि महाराष्ट्र में हिंदी को पहली क्लास से अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर नई भाषा पढ़ानी है तो इसकी शुरुआत पांचवीं क्लास के बाद की जानी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि हिंदी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
शरद पवार ने कहा, ”हिंदी को प्राथमिक शिक्षा में अनिवार्य नहीं बनाना चाहिए. पांचवीं क्लास के बाद हिंदी (की पढ़ाई) शुरू करने पर कोई आपत्ति नहीं है. देश का एक बड़ा वर्ग हिंदी बोलता है और ऐसे में पूरी तरह से इस भाषा को नजरअंदाज़ करने की कोई वजह नहीं है.”
‘प्राथमिक स्तर पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ उचित नहीं’
हालांकि, एनसीपी (एसपी) प्रमुख ने आगे कहा कि प्राथमिक स्तर पर युवा छात्रों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ डालना उचित नहीं है. पवार (80) की यह टिप्पणी महाराष्ट्र में भाषा विवाद के बीच आई है, जो पिछले सप्ताह राज्य सरकार द्वारा एक संशोधित आदेश जारी करने के बाद शुरू हुआ था, जिसमें कहा गया था कि हिंदी को आम तौर पर पहली से पांचवीं क्लास तक मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा.
प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा के महत्व पर जोर
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने प्रारंभिक शिक्षा में मातृभाषा के महत्व पर जोर दिया और कहा, ”माता-पिता को यह निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए कि उनके बच्चों को कक्षा पांच के बाद हिंदी सीखने की आवश्यकता है या नहीं. यह विश्लेषण करना भी महत्वपूर्ण है कि प्रारंभिक स्तर पर छात्र भाषा का कितना बोझ उठा सकते हैं. अगर हम छात्रों पर दूसरी भाषा का बोझ डालेंगे और इस प्रक्रिया में मातृभाषा को दरकिनार कर दिया जाएगा, तो यह उचित नहीं है. राज्य सरकार को कक्षा एक से हिंदी अनिवार्य करने की अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए.”
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के रुख का समर्थन
शरद पवार ने ये भी कहा, ”वह इस मुद्दे पर शिवसेना (UBT) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई तथा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के रुख का समर्थन करते हैं. अगर मराठी भाषी लोग इस मुद्दे पर एकजुट होते हैं तो यह अच्छी बात है. ठाकरे भाइयों ने बीजेपी नीत राज्य सरकार पर भाषा के आधार पर लोगों में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया है.”
महाराष्ट्र में हिंदी भाषा के खिलाफ ठाकरे भाइयों ने खोला मोर्चा, शरद पवार बोले, ‘मैं उनके रुख का…’
1