महोबा के सिजहरी गांव में बारिश से हाल-बेहाल, जनजीवन अस्त-व्यस्त, मवेशी डूबे और अनाज बर्बाद

by Carbonmedia
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उत्तर प्रदेश के महोबा जनपद की सदर तहसील के सिजहरी गांव में रात भर हुई मूसलाधार बारिश ने पूरे गांव को तबाही के कगार पर ला खड़ा किया है. चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है. ग्रामीणों के कच्चे घरों में पानी भर गया, मवेशी डूब गए और घरों में रखा अनाज पूरी तरह बर्बाद हो गया. गांव की सड़कों से लेकर घर, आंगन तक जलभराव है, जिससे लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है.
70 साल की बुजुर्ग हरी का चेहरा डर और बेबसी से भरा था. कांपती आवाज में बोले, “इतनी बारिश तो जीवन में कभी नहीं देखी. घर के अंदर पानी घुस गया है, निकलने का रास्ता नहीं है.” इसी गांव की महिला रामरति की आंखें नम थीं, उन्होंने बताया, “मेरे छह मवेशी डूब गए, किसी तरह उन्हें निकाला लेकिन वे बुरी तरह घायल हैं. घर का अनाज सड़ गया, बच्चों को क्या खिलाएं समझ नहीं आ रहा.”
घरों से पानी निकालने के लिए हो रही जद्दोजहदवहीं, बैजू अपने ढहे हुए मकान को देख फूट-फूटकर रो पड़े. उनका कहना था कि वे कई बार प्रधान से नालियों की सफाई की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब जब पूरा घर डूब गया है, तो प्रशासन नजर नहीं आ रहा.
महीपत कुशवाहा, धनीराम श्रीवास, शंभू दयाल, चुन्नू लाल, शैवेंद्र राजपूत, शिव प्रकाश, जयपाल राजपूत सहित दर्जनों ग्रामीणों के मकान में पानी भरा हुआ है. सभी लोग बाल्टी और डिब्बों से घरों से पानी निकालने की जद्दोजहद कर रहे हैं.
ग्रामीणों ने प्रशासन से से लगाई मदद की गुहारगांव के नाले उफान पर हैं और गलियों में कीचड़ व गंदा पानी भरा है. बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है. बच्चों को दूध और खाना नहीं मिल पा रहा है. बुजुर्ग बीमार हैं और मवेशी चारा-पानी के लिए तड़प रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते जलनिकासी और नालियों की सफाई कर दी जाती, तो यह त्रासदी टल सकती थी. अब वे सरकार और प्रशासन से राहत शिविर, भोजन, दवा और पशुओं के इलाज की मांग कर रहे हैं. सिजहरी गांव की यह तस्वीर महज एक प्राकृतिक आपदा की कहानी नहीं, बल्कि उस प्रशासनिक उदासीनता की गवाही है, जो हर बार जनता को मुश्किलों में अकेला छोड़ देती है.

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