माइक्रोसॉफ्ट ने नायरा एनर्जी को IT सर्विसेज देना बंद की:कंपनी की ईमेल और मैसेजिंग सर्विस पर रोक लगाई; यूरोपियन यूनियन के प्रतिबंध का असर

by Carbonmedia
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भारत की निजी रिफाइनरी नायरा एनर्जी को माइक्रोसॉफ्ट ने IT सर्विसेज देना बंद कर दिया है। यूरोपियन यूनियन के प्रतिबंध के बाद माइक्रोसॉफ्ट ने नायरा की आउटलुक ईमेल और टीम मैसेजिंग जैसी सर्विस पर अचानक रोक लगाई है। माइक्रोसॉफ्ट के इस फैसले के बाद नायरा ने भारतीय IT फर्म रेडिफडॉट कॉम की सर्विस लेनी शुरू की हैं। कंपनी ने माइक्रोसॉफ्ट के इस फैसले को एकतरफा और अनुचित बताया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने अचानक सर्विस बंद किए जाने को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ याचिका दायर की है। यूरोपियन यूनियन के प्रतिबंध के बाद बंद की सर्विस 18 जुलाई 2025 को EU ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण नायरा एनर्जी पर प्रतिबंध लगाए, क्योंकि कंपनी में रूस की रोजनेफ्ट और अन्य रूसी निवेशकों की 49.13% हिस्सेदारी है। EU का दावा है कि नायरा की कमाई रूस के युद्ध को समर्थन देती है। इसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ने 22 जुलाई से नाय्रा की IT सर्विसेज बंद कर दीं। नायरा एनर्जी भारत की तीसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी नायरा एनर्जी भारत की तीसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी है, जो गुजरात के वडिनार में 400,000 बैरल प्रति दिन की क्षमता वाली रिफाइनरी चलाती है। ये कंपनी भारत की कुल रिफाइनिंग क्षमता का करीब 8% हिस्सा संभालती है और देश में 6,750 से ज्यादा पेट्रोल पंप भी ऑपरेट करती है। प्रतिबंध पर भारत ने कहा ऊर्जा सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता प्रतिबंध के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 22 जुलाई को कहा कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सबसे ऊपर रखता है और रूसी तेल खरीदने के मामले में वह अपने हितों की रक्षा करेगा। ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा से ठीक पहले आया। पश्चिमी देश भारत पर रूसी तेल आयात को लेकर दबाव बना रहे हैं। विक्रम मिस्री ने कहा, ऊर्जा सुरक्षा भारत सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। हम वही करेंगे जो हमारे 1.4 अरब लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी है। उन्होंने ये भी कहा कि मामले में दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। EU ने रूसी तेल पर पाबंदियां लगाईं यूरोपियन यूनियन (EU) ने 18 जुलाई 2025 को यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर नए सैक्शन्स का ऐलान किया। इस में रूसी तेल के प्राइस कैप को $60 प्रति बैरल से घटाकर $47.6 प्रति बैरल कर दिया गया है। साथ ही, रूस के तेल से बने पेट्रोल-डीजल जैसे रिफाइंड ईंधन के आयात पर भी रोक लगा दी गई है। इसका असर भारत, तुर्की और यूएई जैसे देशों पर पड़ने की उम्मीद है। ये देश रूसी क्रूड ऑयल को रिफाइन करके डीजल, पेट्रोल और जेट फ्यूल जैसे ईंधन यूरोप को निर्यात करते हैं। पाबंदियों से भारत के पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर खतरा जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, “भारत के यूरोपियन यूनियन को 5 अरब डॉलर के पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के निर्यात पर खतरा मंडरा रहा है। भारत का EU को पेट्रोलियम निर्यात पहले से ही 27.1% घट चुका है। FY24 में $19.2 अरब से घटकर FY25 में $15 अरब हो गया है। युद्ध के बाद से ज्यादा तेल खरीद रहा भारत 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से तेल आयात में भारी बढ़ोतरी की है। पहले जहां रूस से भारत का तेल आयात 1% से भी कम था, वहीं अब ये 40-44% तक पहुंच गया है। फिस्कल 2025 में भारत ने रूस से $50.3 अरब का क्रूड ऑयल आयात किया, जो उसके कुल $143.1 अरब के तेल आयात का एक-तिहाई से ज्यादा है। रूस की डिस्काउंटेड कीमतों ने भारत को महंगाई को काबू में रखने में मदद की है। अमेरिका का भी बना रहा दबाव EU के अलावा, अमेरिका ने भी भारत, चीन और ब्राजील जैसे BRICS देशों पर रूसी तेल आयात को लेकर दबाव बढ़ाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने चेतावनी दी है कि अगर ये देश रूसी तेल खरीदना जारी रखते हैं, तो उन पर 100% से 500% तक के भारी टैरिफ लगाए जा सकते हैं। फॉक्स न्यूज पर अमेरिकी सीनेटर ने कहा, “मैं चीन, भारत और ब्राजील को कहूंगा कि अगर आप सस्ता रूसी तेल खरीदते रहे, जिससे ये युद्ध चलता रहा, तो हम आप पर भारी टैरिफ लगाएंगे। उन्होंने कहा, “हम आपकी अर्थव्यवस्था को चकनाचूर कर देंगे, क्योंकि आप जो कर रहे हैं वो खून के पैसे जैसा है।

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