महाराष्ट्र में मराठी भाषा विवाद के बीच मंत्री नितेश राणे ने एक और विवादित बयान दे दिया है. अक्सर अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले नितेश राणे ने इस बार यह कहा है कि मदरसों में उर्दू की जगह मराठी पढ़ाई जानी चाहिए और मस्जिदों में अजान भी मराठी में होनी चाहिए. अब इसपर अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान भड़क गए हैं. उन्होंने नितेश राणे के बयान पर जवाब दिया है.
अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्यारे खान ने कहा, “नितेश राणे को सीरियस लेने की जरूरत नहीं है. उनको मुसलमानों को सिखाने की भी जरूरत नहीं है. पहली बात मैं आपको बताना चाहूंगा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का इस सरकार के पहले जो ढाई साल का कार्यकाल था, उस समय उन्होंने मॉडर्न मदरसों पर जोर दिया. उन मदरसों के बच्चे अच्छी मराठी बोलते हैं.”
‘मुसलमान भी जानता है मराठी जरूरी’- प्यारे खानप्यारे खान ने कहा, “मुसलमानों को भी समझ आ गया है कि महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी आना जरूरी है. इस भाषा से हमारा अस्तित्व जुड़ा है. आज अगर सरकार में नौकरी करनी है या पुलिस में भर्ती होना है तो मराठी आना बहुत जरूरी है.”
Nagpur, Maharashtra: On Minister Nitesh Rane’s statement that Marathi should be taught in madrasas, Minority Commission Chairman Pyare Khan says, “There is no need to take Nitesh Rane seriously, nor does he need to teach Muslims anything. Chief Minister Devendra Fadnavis has… pic.twitter.com/VIgYUxRdr9
— IANS (@ians_india) July 17, 2025
‘कोल्हापुर की मस्जिद में होती है मराठी में अजान’इतना ही नहीं अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा, “अब आप कोल्हापुर की तरफ मस्जिदों पर ध्यान दें तो वहां जुमे की नमाज के दिन जो तकरीर होती है, वो मराठी में ही होती है. शायद यह बात नितेश राणे नहीं जानते, उन्हें वहां जाकर देखना चाहिए. देवेंद्र फडणवीस द्वारा बनाए गए मॉडर्न मदरसों में भी जाकर देखें. पहले वहां बच्चे अरबी पढ़ते थे.”
‘बात समझाने का एक तरीका होता है’नितेश राणे पर निशाना साधते हुए प्यारे खान ने कहा कि समझाने का एक तरीका होता है. आज मुसलमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की बातों को मानता है. 5 साल पहले तक मदरसों में केवल अरबी पढ़ाई जाती थी. मुट्ठी भर मदरसे होते थे, जहां सारी तालीम दी जाती हो लेकिन आज हर मॉडर्न मदरसे में मराठी का टीचर है. भाषा पढ़ाई जाती है, क्योंकि मुसलमानों को समझ में आ गया है कि कल को अगर अच्छी जगह नौकरी करनी है तो मराठी आना बहुत जरूरी है.
‘पूरे देश का मुसलमान अरबी में बात नहीं करता’प्यारे खान ने आगे कहा, “मुसलमान का मराठियों से कोई विरोध नहीं है. मुसलमान यह बात जानता है कि मराठी पढ़ने से ही वह महाराष्ट्र में आगे बढ़ेगा. इसी तरह तमिलनाडु का मुसलमान जानता है कि तमिल पढ़नी होगी. सब जगह तो वे अरबी में बात नहीं करते. इसलिए मुसलमानों के खिलाफ बोलना, उनपर टिप्पणी करना बिल्कुल ठीक नहीं है.”