मूवी रिव्यू- ‘तन्वी: द ग्रेट’,:शांत, लेकिन असरदार फिल्म, रिश्तों, सपनों, समझ और बदलाव की कहानी

by Carbonmedia
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अनुपम खेर के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘तन्वी: द ग्रेट’ कल यानी कि 18 जुलाई को रिलीज हो रही है। सच्ची घटना पर आधारित यह दिल को छू जाने वाली फिल्म है। इस फिल्म में अनुपम खेर ने अभिनय भी किया है। अनुपम के अलावा फिल्म में शुभांगी दत्त, करण टैकर, बोमन ईरानी, जैकी श्रॉफ, अरविंद स्वामी, पल्लवी जोशी की अहम भूमिका है। इस फिल्म की लेंथ 2 घंटा 30 मिनट है। दैनिक भास्कर ने इस फिल्म को 5 में से 4 स्टार की रेटिंग दी है। फिल्म की कहानी कैसी है? कहानी दिल्ली से लैंसडाउन (उत्तराखंड) तक की एक भावनात्मक यात्रा है। तन्वी (शुभांगी दत्त) एक ऑटिस्टिक बच्ची है, जिसे उसकी मां विद्या (पल्लवी जोशी) विदेश जाने से पहले उसके दादा कर्नल रैना (अनुपम खेर) के पास छोड़ जाती है। कर्नल रैना सेना से रिटायर हो चुके हैं और बहुत अनुशासित हैं। शुरुआत में उन्हें तन्वी की दुनिया समझ नहीं आती, लेकिन धीरे-धीरे दोनों के बीच एक गहरा रिश्ता बनता है। कहानी मोड़ तब लेती है जब तन्वी अपने शहीद पिता (करण टैकर) का एक वीडियो देखती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वो चाहते थे कि एक दिन वे सियाचिन में तिरंगे को सलाम करें। यही सपना तन्वी भी देखने लगती है कि वह सेना में भर्ती होकर अपने पिता का सपना पूरा करेगी। इस सफर में एक और भावनात्मक मोड़ तब आता है जब एक आर्मी ऑफिसर मेजर श्रीनिवासन (अरविंद स्वामी) को पता चलता है कि कभी किसी अनजान व्यक्ति ने खून देकर उनकी जान बचाई थी। बाद में उन्हें ये जानकर झटका लगता है कि वो खून देने वाला और कोई नहीं बल्कि तन्वी के शहीद पिता थे। अब वही छोटी बच्ची सेना में आने का सपना देख रही है। ये बात उन्हें भीतर तक झकझोर देती है। स्टारकास्ट की एक्टिंग कैसी है? शुभांगी दत्त ने अपना किरदार पूरे दिल से निभाया है। उन्होंने सिर्फ किरदार निभाया नहीं,बल्कि उसे जिया है। उनका हर इमोशन आपको अंदर तक छूता है। अनुपम खेर ने अपने किरदार को बड़े ही सच्चे और सादे तरीके से निभाया है। एक सख्त दादा कैसे धीरे-धीरे एक नन्ही बच्ची के साथ बदलता है। ये बहुत ही खूबसूरती से दिखाया गया है। पल्लवी जोशी, बोमन ईरानी, जैकी श्रॉफ, अरविंद स्वामी, नास्सर और आईन ग्लेन जैसे कलाकारों ने भी छोटी भूमिकाओं में असर छोड़ा है। फिल्म का डायरेक्शन और तकनीकी पक्ष कैसा है? अनुपम खेर का निर्देशन बहुत संतुलित और भावनात्मक है। उन्होंने इस फिल्म को बहुत ईमानदारी और दिल से बनाया है। लैंसडाउन (उत्तराखंड) की खूबसूरती और शांति को कैमरे ने बहुत ही शानदार तरीके से पकड़ा है। फिल्म की रफ्तार थोड़ी धीमी लग सकती है, लेकिन इसी धीमापन में इसकी गहराई छुपी है। कुछ सबसे गहरे दृश्य बिना किसी डायलॉग के होते हैं। जैसे तन्वी जब पहली बार “दादू” कहती है, या जब श्रीनिवासन को एहसास होता है कि तन्वी ही उस शहीद की बेटी है जिसने उसकी जान बचाई थी। फिल्म में न कोई जोरदार डायलॉग हैं, न ही कोई बनावटी ड्रामा। बस सच्चाई, भावनाएं और बहुत प्यार है। जो दिल को छूती है। फिल्म का म्यूजिक कैसा है? एमएम कीरवानी का संगीत फिल्म की आत्मा को साथ लेकर चलता है। गाने दिल को छूते हैं और जरूरत से ज्यादा हावी नहीं होते। बैकग्राउंड स्कोर भी बिल्कुल सही मात्रा में है, न कम, न ज्यादा। फाइनल वर्डिक्ट, देखे या नहीं? यह फिल्म बताती है कि अगर आपके दिल में सपना सच्चा हो और हौसला हो, तो कोई भी रुकावट बड़ी नहीं होती।‘तन्वी: द ग्रेट’ सिर्फ ऑटिज्म या सेना की कहानी नहीं, बल्कि यह रिश्तों, सपनों, समझ और बदलाव की कहानी है। यह फिल्म आपको बेहतर इंसान बनने की याद दिला सकती है।

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