मेडिकल कॉलेज के नाम को लेकर सरपंचों का यू टर्न:कई बोले, खाली लेटरपैड लेकर गए, भाईचारे में दे दी थी

by Carbonmedia
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हरियाणा के नारनौल में आज क्षेत्र के 50 से अधिक जनप्रतिनिधियों ने मिलकर गांव कोरियावास में बने मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं बढ़ाने के बारे में प्रेसवार्ता की। इस मौके पर कई सरपंच अपने पुराने बयान से पलट कर उन्हाेंने इस मामले में यूटर्न लिया तथा मेडिकल कॉलेज के नाम से अपना पल्ला झाड़ लिया। नामकरण विवाद पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पंचायत प्रतिनिधियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा “अब नाम की राजनीति छोड़, कॉलेज को उसके असली मकसद इलाज और शिक्षा के लिए तुरंत शुरू करने की मांग की।
गांव रामबास व नियामतपुर समेत अनेक गांवों के सरपंचों ने कहा कि कोरियावास मेडिकल कॉलेज में नाम के विवाद से उनका कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने गांव कोरियावास के लोगों को केवल इसलिए अपने खाली लेटरपैड दे दिए कि उनकी कई मांगे सही हैं। जैसे वहां पर नौकरियों में आरक्षण तथा मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं। नांगल चौधरी व निजामपुर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने कहा कि मेडिकल कॉलेज जनता की वर्षों पुरानी मांग और उम्मीद का परिणाम है, जिसे गंभीर बीमारियों के इलाज और मेडिकल छात्रों को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाया गया था। लेकिन नामकरण विवाद के कारण न तो यहां इलाज शुरू हो पाया, न ही कक्षाएं। नतीजा यह कि मरीज अब भी दिल्ली-जयपुर के बड़े अस्पतालों में भटक रहे हैं और मेडिकल छात्रों का भविष्य अधर में है।
2018 में रखी थी नींव
दिसंबर 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और पूर्व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की मौजूदगी में कॉलेज का शिलान्यास हुआ था। तभी से लोगों को भरोसा था कि जल्द ही उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं यहीं उपलब्ध होंगी। लेकिन पांच साल बाद भी हालात जस के तस हैं।
इस मौके पर नांगल चौधरी पंचायत समिति की अध्यक्षा धोली देवी के पति कर्मपाल यादव ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में उच्च योग्यता वाले स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की नियुक्ति कर, मॉडर्न उपचार सुविधाएं तुरंत उपलब्ध कराई जाएं। वहीं नसीबपुर में स्वतंत्रता सेनानी राव तुलाराम के नाम पर भव्य और आधुनिक शहीद स्मारक का निर्माण शीघ्र शुरू किया जाए।
आंदोलन की चेतावनी
जनप्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि 6 महीने में दोनों मुद्दों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो जिले भर की पंचायतें आंदोलन का रास्ता अपनाएंगी। यह प्रस्ताव जिले की 343 में से 250 पंचायतों (72%) द्वारा पारित किया गया है, जिस पर जिला परिषद, नगर परिषद और नगर पालिकाओं के अध्यक्ष-उपाध्यक्षों समेत सैकड़ों जनप्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं।
जिले की सेहत बदल सकता है यह कॉलेज
अन्वय वक्ताओं ने कहा कि यह कॉलेज जिले के स्वास्थ्य ढांचे को नया जीवन दे सकता है। गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अब मरीजों को मीलों दूर नहीं जाना पड़ेगा और हरियाणा-राजस्थान के कई जिलों को लाभ मिलेगा। अंत में जनप्रतिनिधियों ने सरकार से अपील की कि नाम का विवाद सरकार स्तर पर निपटाइ, लेकिन कॉलेज को राजनीति की भेंट न चढ़ने दें। जनता का सब्र अब खत्म हो रहा है।

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