अगर आप बिहार में MBBS करने का सपना देख रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. बिहार के निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई करने वाले छात्रों को अब भारी भरकम फीस का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, निजी मेडिकल कॉलेजों ने संकेत दिए हैं कि यदि सरकार का मौजूदा आदेश पूरी तरह लागू होता है, तो बाकी बची 50% सीटों पर छात्रों से 30 से 40 लाख रुपये तक वसूले जा सकते हैं.
बिहार सरकार ने यह आदेश दिया है कि निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 प्रतिशत सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों जैसी कम फीस ही ली जाए. यानी हर साल सिर्फ करीब 1.2 से 1.5 लाख रुपये में MBBS की पढ़ाई का मौका मिल सकेगा. ये नियम कुल 9 निजी मेडिकल कॉलेजों की लगभग 1350 MBBS सीटों में से 675 सीटों पर लागू होगा.
इस फैसले का फायदा तो हजारों छात्रों को मिलने वाला है लेकिन अब कॉलेज प्रशासन ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि अगर आधी सीटों पर कम फीस ली जाएगी, तो वे बाकी की आधी सीटों पर भारी फीस वसूलने को मजबूर होंगे, जिससे छात्र 5 साल की पढ़ाई में कुल 30 से 40 लाख रुपये तक चुकाने को मजबूर हो सकते हैं.
महंगी होगी फीस?
इसका सीधा असर उन छात्रों पर पड़ेगा जिन्हें सरकारी फीस पर सीट नहीं मिलेगी. पहले से ही निजी कॉलेजों में मैनेजमेंट कोटा की फीस 8 से 16 लाख रुपये सालाना तक होती है और अब यह और भी महंगी हो सकती है. यानी मेडिकल की पढ़ाई सिर्फ अमीर तबके तक सीमित रह सकती है.
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कम खर्च में डॉक्टर
हालांकि जिन छात्रों का चयन कम फीस वाली सीटों पर हो जाएगा, उनके लिए यह किसी वरदान से कम नहीं होगा. उन्हें कम खर्च में डॉक्टर बनने का मौका मिल सकता है. खासकर ग्रामीण इलाकों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और ओबीसी छात्रों को इस नीति से बड़ा फायदा मिल सकता है.
क्या बोले प्राइवेट मेडिकल कॉलेज
प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों का कहना है कि यदि सरकार इतनी कम फीस पर सीट भरवाना चाहती है, तो उन्हें वित्तीय सहायता भी देनी चाहिए. वरना कॉलेजों की आर्थिक हालत बिगड़ सकती है और संस्थान चलाना मुश्किल हो जाएगा.
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मेडिकल स्टूडेंट्स पर भारी पड़ रहा बिहार सरकार का फैसला, प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने डबल की फीस
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