सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (24 जून, 2025) को दहेज के लिए पत्नी की हत्या के मामले में आरोपी को आत्मसमर्पण की छूट देने से इनकार करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भाग लेने से आपको घर पर अत्याचार करने की छूट नहीं मिल जाती है.
पत्नी की हत्या के आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह ब्लैक कैट कमांडो है और पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर का भी हिस्सा था. उसने सुप्रीम कोर्ट से पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने की छूट मांगी थी. हालांकि, कोर्ट ने उसकी अपील खारिज कर दी और उसको खूब फटकार भी लगाई.
जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने व्यक्ति की अपील को खारिज करते हुए उसकी सजा को बरकरार रखा था.
सुप्रीम कोर्ट ने शुरू में व्यक्ति को छूट देने में अनिच्छा व्यक्त की. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि व्यक्ति ने ऑपरेशन सिंदूर में भाग लिया था. उन्होंने कहा, ‘पिछले 20 साल से मैं राष्ट्रीय राइफल्स में ब्लैक कैट कमांडो के रूप में तैनात हूं.’
तब पीठ ने कहा, ‘इससे आपको घर पर अत्याचार करने की छूट नहीं मिल जाती है. यह दर्शाता है कि आप शारीरिक रूप से कितने फिट हैं, और आप अकेले किस तरह से अपनी पत्नी को मार सकते थे, अपनी पत्नी का गला घोंट सकते थे.’
बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था, इसलिए उसे छूट देने के लिए यह उपयुक्त मामला नहीं है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी किया और प्रतिवादियों से छह सप्ताह में जवाब मांगा.
याचिकाकर्ता बलजिंदर सिंह पर पत्नी की हत्या करने के लिए आईपीसी की धारा 304बी के तहत मामला दर्ज है. उस पर दहेज के लिए हत्या करने का आरोप है. पुलिस ने आरोप लगाया कि महिला को दहेज के लिए उसके ससुराल में उत्पीड़न और क्रूरता का सामना करना पड़ा. पुलिस ने आरोप लगाया कि महिला को दहेज के लिए उसके ससुराल में उत्पीड़न और क्रूरता का सामना करना पड़ा.
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