मोहन भागवत ने की मुस्लिम धर्मगुरुओं से मुलाकात, लिचिंग से लेकर मदरसों तक जानें किन मुद्दों पर हुई बात

by Carbonmedia
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दिल्ली के हरियाणा भवन में गुरुवार (24 जुलाई, 2025) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत और देशभर से आए मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. यह बैठक सुबह 9 बजे शुरू हुई और करीब साढ़े तीन घंटे तक चली. बैठक में अखिल भारतीय इमाम संगठन (AIIO) के प्रमुख डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी के नेतृत्व में लगभग 60 मुस्लिम प्रतिनिधि तीन बसों के जरिए पहुंचे.
बैठक में संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी जैसे दत्तात्रेय होसबाले, कृष्ण गोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार भी मौजूद रहे. मुस्लिम पक्ष से ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मुफ्ती सैयद टीटी, शाही इमाम लखनऊ सय्यद शाह फजलुल मलन रहमानी, ज़ुबैर गोपलनी जैसे बुद्धिजीवी और दिल्ली के मदरसों के मुखिया भी शामिल हुए.
क्या था बैठक का मकसद?
इस बैठक का मकसद देश में हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच संवाद बढ़ाना, गलतफहमियों को दूर करना और समाज में एकता का माहौल बनाना था. बैठक में दोनों पक्षों ने खुलकर अपनी बात रखी और एक-दूसरे को ध्यान से सुना. खासतौर पर वक्फ बोर्ड, लिंचिंग, मदरसों की स्थिति, पहलगाम और SIR जैसे संवेदनशील मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई. 
बैठक में यह भी तय हुआ कि दोनों समुदायों के बीच आपसी गलतफहमियों को बातचीत के जरिए खत्म किया जाएगा और समाज में शांति और भाईचारे का संदेश फैलाया जाएगा. मुस्लिम धर्मगुरुओं ने बताया कि मोहन भागवत ने सभी मुद्दों को गंभीरता से सुना और मिलकर समाधान निकालने की बात कही.
जनसंख्या को लेकर डर फैलाना गलत 
बैठक के बाद असम के मुख्यमंत्री के हालिया बयान पर भी एबीपी न्यूज ने प्रतिक्रिया ली. मुस्लिम प्रतिनिधियों ने इसे राजनीतिक बयानबाजी बताया और कहा कि जनसंख्या को लेकर डर फैलाना गलत है. उन्होंने कहा कि भारत को अगर विश्वगुरु बनाना है तो सभी धर्मों और समुदायों को साथ लेकर चलना होगा.
RSS प्रमुख के सामने खुलकर रखी बात
जुबैर गोपलनी जैसे कुछ बुद्धिजीवियों ने कहा कि प्यार और भरोसे की बात हुई है और आगे भी ऐसे संवाद होते रहेंगे. वहीं दिल्ली के एक मदरसा प्रमुख महमूद हसन ने बताया कि यह उनकी पहली मुलाकात थी. RSS प्रमुख के साथ और बैठक में उन्हें खुलकर अपनी बात रखने का मौका मिला.
बैठक के आखिर में सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि ऐसे संवाद भविष्य में और ज्यादा होने चाहिए. बातचीत से ही दूरी मिटाई जा सकती है, नफरत खत्म की जा सकती है और समाज में आपसी मोहब्बत बढ़ाई जा सकती है.
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