हरियाणा के यमुनानगर और कुरुक्षेत्र जिलों में अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। यमुनानगर के सढौरा, मॉडल टाउन और कुरुक्षेत्र के लाडवा में हुई अलग-अलग फायरिंग घटनाओं ने पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। कुख्यात गैंगस्टरों ने सोशल मीडिया पर इन हमलों की जिम्मेदारी ले ली है, लेकिन फायरिंग के पीछे का सटीक मोटिव अभी तक पुलिस के लिए पहेली बना हुआ है। सढौरा में एक इमिग्रेशन एजेंट के घर पर हुई फायरिंग में दो बदमाशों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इनमें से एक आरोपी साहिल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दूसरा अभी फरार है। गैंगस्टर वेंकट गर्ग ने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया है कि एजेंट ने उसके कई भाइयों के पैसे हड़प लिए थे, जिसके चलते यह बदला लिया गया। ट्रेलर बताते हुए दे रहे चेतावनी वहीं, यमुनानगर के मॉडल टाउन और कुरुक्षेत्र के लाडवा में हुई फायरिंग की जिम्मेदारी गैंगस्टर नोनी राणा ने ली। नोनी ने इसे ‘ट्रेलर’ बताते हुए चेतावनी दी है कि यह तो बस शुरुआत है। इन घटनाओं में शामिल तीनों बदमाश अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। वरिष्ठ अधिकारी असमंजस में हैं, क्योंकि गैंगस्टर सोशल मीडिया पर खुलेआम दावे कर रहे हैं, लेकिन वजह स्पष्ट करने से बच रहे हैं। प्रारंभिक जांच में एक कॉमन थ्रेड सामने आया है कि ये हमले व्यापारियों से पहले मांगी गई रंगदारी न देने के कारण हो सकते हैं। पुलिस अलग-अलग एंगल से जांच रही हालांकि, सवाल उठ रहा है कि अगर मामला सिर्फ रंगदारी का है, तो वेंकट गर्ग और नोनी राणा जैसे गैंगस्टर लंबे समय बाद अचानक एक साथ सक्रिय क्यों हुए हैं? क्या यह किसी बड़े गैंगवार की शुरुआत है?पुलिस प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए अलग-अलग एंगल से जांच शुरू कर दी है। यमुनानगर एसपी कमलदीप गोयल ने बताया, हमारी टीमें फरार आरोपियों की तलाश में जुटी हैं। सोशल मीडिया पोस्ट्स का विश्लेषण किया जा रहा है और इंटेलिजेंस एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित है। इलाके में अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी गई है। युवाओं को गैंग में भर्ती करना या क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई फायरिंग घटनाओं ने न केवल स्थानीय लोगों में दहशत फैलाई है, बल्कि पुलिस प्रशासन को भी गहरी चिंता में डाल दिया है। बेशक अभी तक मोटिव पुरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन इन वारदातों के पीछे कुछ संभावित वजह हो सकती हैं, जो मौजूदा जानकारी, गैंग डायनामिक्स, और रोमिल वोहरा एनकाउंटर के संदर्भ पर आधारित हैं: 1. रंगदारी वसूली और डर का माहौल: गैंग्स अक्सर व्यापारियों, दुकानदारों, या स्थानीय बिजनेस (जैसे सढौरा का इमिग्रेशन एजेंट) से रंगदारी मांगते हैं। अगर रकम नहीं दी जाती, तो फायरिंग जैसे हमले ‘सबक सिखाने’ और बाकियों में डर फैलाने के लिए किए जाते हैं। नोनी राणा ने मॉडल टाउन और लाडवा की फायरिंग को ‘ट्रेलर’ कहकर इसी तरह की चेतावनी दी। यह रणनीति गैंग्स की आम कार्यशैली है, जिससे वे इलाके में अपनी बादशाहत कायम रखते हैं। 2. व्यक्तिगत बदला और आर्थिक धोखाधड़ी: वेंकट गर्ग ने सढौरा में इमिग्रेशन एजेंट के घर पर फायरिंग की जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि एजेंट ने उसके भाइयों के लाखों रुपए हड़प लिए। यह संभव है कि यह हमला किसी पुराने आर्थिक लेन-देन या धोखाधड़ी का बदला हो। गैंग्स अक्सर पैसे के विवादों को हिंसक तरीके से सुलझाते हैं, ताकि उनकी साख बनी रहे। 3. रोमिल वोहरा एनकाउंटर का जवाब: रोमिल वोहरा, यमुनानगर का मूल निवासी और नोनी राणा गैंग का प्रमुख हत्यारा, जून 2025 में दिल्ली-गुरुग्राम एसटीएफ के एनकाउंटर में मारा गया। उसकी मौत ने नोनी राणा गैंग में नेतृत्व और ताकत का वैक्यूम पैदा किया हो सकता है। ये फायरिंग घटनाएं पुलिस को चुनौती देने, गैंग की ताकत दिखाने, या रोमिल की मौत का बदला लेने का प्रयास हो सकती हैं। खासकर, नोनी राणा की ‘ट्रेलर’ वाली पोस्ट इस बात का संकेत देती है कि वह पुलिस या विरोधी गुटों को संदेश देना चाहता है। 4. क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई: यमुनानगर और कुरुक्षेत्र हरियाणा के अपराध जगत में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। रोमिल वोहरा की मौत के बाद नोनी राणा और वेंकट गर्ग जैसे गैंगस्टर इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर सकते हैं। ये हमले अन्य गैंग्स को यह दिखाने के लिए हो सकते हैं कि वे अभी भी सक्रिय और ताकतवर हैं। गैंग टेरिटरी की यह लड़ाई अक्सर हिंसक घटनाओं को जन्म देती है। 5. युवाओं को गैंग में भर्ती करना: हरियाणा में बेरोजगारी और आर्थिक तंगी के चलते गैंग्स अक्सर युवाओं को छोटे-मोटे काम (जैसे फायरिंग या धमकी देना) के लिए भर्ती करते हैं। ये हमले युवाओं को लुभाने और गैंग की ताकत बढ़ाने का हिस्सा हो सकते हैं। रोमिल वोहरा जैसे हाई-प्रोफाइल अपराधी की मौत के बाद नोनी राणा को नए सदस्यों की जरूरत हो सकती है, और ऐसी घटनाएं भर्ती के लिए प्रचार का काम करती हैं। 6. सोशल मीडिया पर प्रचार और डर: वेंकट गर्ग और नोनी राणा ने सोशल मीडिया पर हमलों की जिम्मेदारी लेकर न केवल डर फैलाया, बल्कि अपनी ‘ब्रांडिंग’ भी की। आज के दौर में गैंगस्टर सोशल मीडिया को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं, ताकि आम लोग और विरोधी गुट उनसे डरें। नोनी की ‘ट्रेलर’ वाली पोस्ट इस बात का सबूत है कि वह डर और प्रचार दोनों चाहता है। 7. आर्थिक संकट और त्वरित फंडिंग: पुलिस और एसटीएफ की लगातार कार्रवाइयों (जैसे रोमिल वोहरा का एनकाउंटर) ने गैंग्स की फंडिंग पर असर डाला हो सकता है। रंगदारी, लूट, या हिंसक हमलों के जरिए तुरंत पैसे जुटाना इन हमलों का मकसद हो सकता है। खासकर, सढौरा में इमिग्रेशन एजेंट जैसे टारगेट को चुनना इस बात का संकेत देता है कि गैंग्स आर्थिक रूप से मजबूत लक्ष्यों पर निशाना साध रहे हैं। 8. प्रतिद्वंद्वी गैंग्स पर दबाव: रोमिल वोहरा की मौत के बाद नोनी राणा गैंग कमजोर हुआ हो सकता है। दूसरी तरफ, उभरते हुए वेंकट गर्ग जैसे गैंगस्टर इस मौके का फायदा उठाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हों। ये फायरिंग प्रतिद्वंद्वी गैंग्स (जैसे काला राणा गैंग) को कमजोर करने और इलाके में अपनी साख बढ़ाने का हिस्सा हो सकती हैं।
यमुनानगर-कुरुक्षेत्र फायरिंग इंसिडेंट, नोनी का ‘ट्रेलर’ क्या है बड़ा प्लान?:सोशल मीडिया पर गैंगस्टरों का दावा, मोटिव अभी रहस्य; असमंजस में पुलिस
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