यमुनानगर में सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान लापरवाही के चलते महिला के गर्भ में सर्जिकल स्पंज (पट्टी) छोड़ने के मामले में अभी तक प्रशासन द्वारा आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। महिला के परिजन हताश होकर आज फिर लघु सचिवालय पहुंचे। उनका कहना है कि डीसी को शिकायत सौंपे दस दिन से ज्यादा का समय हो चुका है। डीसी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आश्वासन दिया था कि जांच के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर जांच करेंगे। इस कमेटी का चेयरमैन एसडीएम को बनाया गया है। अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई परिजनों का कहना है कि अभी तक मामले में कार्रवाई नहीं हुई है। आज मामले में प्रोग्रेस जानने के लिए एसडीएम से मुलाकात की है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि कि कल कमेटी की मीटिंग बुलाई जाएगी, जिसमें मामले से जुड़े सभी फेक्ट चेक किए जाएंगे। पीड़ित महिला मेहर के पति गांव बीबीपुर निवासी ओसामा ने बताया कि आरोपी महिला डॉक्टर का पति जोकि सिविल अस्पताल में डिप्टी सिविल सर्जन के पद पर तैनात है। वह अपनी पहुंच से जांच को प्रभावित कर सकता है और वह केस से अपना नाम भी निकलवाने का प्रयास कर रहा है। सरकारी डॉक्टर चला रहा प्राइवेट अस्पताल ओसामा ने बताया कि डीसी द्वारा गठित कमेटी में एसडीएम जगाधरी, डीएसपी, हेल्थ वेलफेयर से एक मैडम और सीएमओ सहित एक अन्य सदस्य शामिल है। ओसामा के साथ डीसी दफ्तर पहुंचे साहब सिंह ने कहा कि सरकारी डॉक्टर अपना प्राइवेट अस्पताल नहीं चला सकता। ऐसे में डिप्टी सिविल सर्जन अपने पत्नी(जिसने गर्भ में पट्टी छोड़ी थी) के साथ मिलकर न केवल प्राइवेट अस्पताल चला रहा है बल्कि वहां ऑपरेशन भी कर रहा है।। प्रशासन को और सरकार को इस पर संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं इस लापरवाही भरे मामले में शामिल हर एक डॉक्टर का लाइसेंस रद्द करना चाहिए। यह था मामला यमुनानगर में एक निजी अस्पताल की महिला डॉक्टर की लापरवाही से मेहर खातून नामक मरीज के गर्भ में सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान सर्जिकल स्पंज (पट्टी) छोड़ दी गई। आरोप है कि यह ऑपरेशन डॉक्टर के पति सिविल अस्पताल में तैनात डिप्टी सिविल सर्जन ने साथ मिलकर किया था। ऑपरेशन 13 मार्च 2025 को हुआ, जिसके बाद मेहर को 15 मार्च को छुट्टी मिली। कुछ दिनों बाद दर्द होने पर अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन कराए। आरोप है कि यमुनानगर के डायग्नोस्टिक सेंटरों ने मिलीभगत कर नॉर्मल रिपोर्ट्स बनाई। ढाई माह तक दर्द झेलने के बाद 21 मई को पंचकुला के अस्पताल में पता चला कि गर्भ में पट्टी है। 24 मई को ऑपरेशन कर आंत काटकर पट्टी निकाली गई। कुछ दिन पहले परिजनों ने आरोपी महिला डॉक्टर, उसके पति (डिप्टी सिविल सर्जन), दो डायग्नोस्टिक सेंटर संचालकों और मॉडल टाउन के एक अन्य प्राइवेट डॉक्टर के खिलाफ जांच कमेटी गठित कर लाइसेंस रद्द करने की मांग की। पीड़ित पक्ष की शिकायत पर डीसी पार्थ गुप्ता ने पांच मेंबर की टीम बनाकर जांच कमेटी गठित कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
यमुनानगर में ऑपरेशन दौरान गर्भ में पट्टी छोड़ने का मामला:कल जांच कमेटी करेगी मीटिंग, एसडीएम से मिले परिजन
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