यमुनानगर की नदियों ने इस मानसून में भारी तबाही मचाई, लेकिन अब सोम, पथराला, नकटी और यमुना का रौद्र रूप शांत हो गया है। जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आने से किनारे बसे लोग राहत की सांस ले रहे हैं। फिर भी, बाढ़ के जख्म अभी ताजा हैं, और गांवों में जीवन को पटरी पर लाने की चुनौती बरकरार है। सोम नदी ने इस बार इतिहास रच दिया। पहली बार हुआ कि इसका जल प्रवाह 24,100 क्यूसेक तक पहुंचा, जो सामान्य क्षमता से ढाई गुना ज्यादा था। कांडी परियोजना के तहत बने चेक डैम टूटने से उत्तम वाला और पानीवाला गांव के खेतों में पानी भर गया, जिसने सैकड़ों एकड़ धान और गन्ने की फसलें चौपट कर दीं। वहीं धनौरा में पानी पुल के ऊपर से बहा, जिससे यातायात ठप हुआ। नदी शांत, डर बरकरार अब नदी शांत है, लेकिन लोगों में डर अभी भी बरकरार है, क्योंकि मौसम विभाग द्वारा आगामी दिनों में फिर से भारी बारिश की संभावना जताई है। पथराला और नकटी नदियों ने भी साढौरा और बरौली माजरा में कहर बरपाया। पथराला में 7,500 क्यूसेक और नकटी में 6,000 क्यूसेक पानी का बहाव सामान्य से कहीं ज्यादा था। ग्रामीणों का कहना है कि नदियों की सफाई न होने और अवैध कब्जों ने मुसीबत को दोगुना कर दिया। यमुना नदी का जलस्तर हथनीकुंड बैराज पर 1,70,000 क्यूसेक तक पहुंचा था, जोकि इस सीजन का सर्वाधिक था। बढ़े हुए जलस्तर का असर दिल्ली और नोएडा तक पहुंचा, जहां झुग्गियां और फार्महाउस पानी में डूब गए। दोपहर में 36 हजार 436 क्यूसेक पानी दर्ज अब करीब एक सप्ताह से जलस्तर 50,000 क्यूसेक से नीचे है। बीती राज जलस्तर 43 हजार 999 क्यूसेक दर्ज किया गया था, जिसमें से यमुना नदी में 29479 क्यूसेक, पश्चिमी यमुना नहर में 13010 क्यूसेक जबकि उत्तर प्रदेश को 1510 क्यूसेक पानी की सप्लाई दी गई। वहीं आज दोपहर में यह जलस्तर घटकर 36 हजार 436 पर आ गया है। सिंचाई विभाग के अनुसार कई दिनों से पहाड़ी एरिया में बारिश न होने से स्थिति सामान्य बनी हुई है। यदि आगामी दिनों में ऊपरी इलाकों में फिर से भारी बारिश हुई तो दोबारा बैराज की गेट दिल्ली की तरफ खोलने पड़ेंगे। मकान ढहा, खेती बर्बाद व रास्ते बाधित इस बार बाढ़ के पानी ने फसलों को तबाह किया और जीवन को ठप कर दिया। अनुमान है कि 700 से 1,000 एकड़ खेती बर्बाद हुई। धान, गन्ना और चारा पानी में डूब गए, जिससे किसानों को लाखों का नुकसान हुआ। काठगढ़ में एक मकान ढह गया, जिससे परिवार बेघर हो गया। सड़कें, पुल और बिजली लाइनें टूट गईं। कपालमोचन-साढौरा मार्ग कई दिन बंद रहा, जिससे लोग परेशान रहे। सिंचाई विभाग के एसई मित्तल ने बताया कि नदियों सामान्य लेवल पर बह रही हैं। तटबंधों को पक्का करने और जल निकासी को बेहतर करने की योजना है। अगले मानसून तक स्थिति और ज्यादा बेहतर की जा जाएगी।
यमुनानगर में नदियां शांत, लोगों ने ली राहत की सांस:हथिनीकुंड बैराज में 35 हजार क्यूसेक पानी; सोम, पथराला व नकटी भी खतरे से काफी नीचे
5