यमुनानगर में 14 अप्रैल को कैल गांव में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में हुए खर्च को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। पर्यावरण मित्र फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं आरटीआई एक्टिविस्ट चिराग सिंघल ने जिला प्रशासन पर कार्यक्रम के बजट को लेकर घपले का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इस कार्यक्रम के खर्च में अनियमितताएं हुई हैं, जिसके लिए उन्होंने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी मांगी थी, जिसका उन्हें जवाब प्राप्त हुआ है। आरटीआई में किस काम पर कितना खर्च हुआ इसकी पूरी जानकारी दी है। आरटीआई में सूचना दी गई है कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में जो टैंट लगाया गया था उस पर चार करोड़ 97 लाख रुपए, साउंड पर 97 लाख 57 हजार रुपए, होटल बुकिंग पर 20 लाख 22 हजार रुपए, वीवीआईपी के स्नैक्स पर 14 लाख 96 हजार रुपए और 15 हजार लोगों के लिए फूड पैकेट व पानी पर 28.35 लाख रुपए था। वहीं पुलिस फोर्स के भोजन पर 35 लाख 91 हजार रुपए, बसों पर 43 लाख 31250 रुपए, पार्किंग की बैरिकेडिंग पर 35 लाख रुपए, तीन हजार मीडियाकर्मी के खाने पर पांच लाख रुपए से ज्यादा का खर्च दिखाया गया है। चिराग का आरोप है कि तीन हजार मीडियाकर्मी पूरे प्रदेश में नहीं हैं। इसलिए इतने मीडियाकर्मी कार्यक्रम में कैसे पहुंच सकते हैं, जबकि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में केवल 120 कुर्सी मीडिया के लिए लगाई गई थी। उन्होंने इस खर्च में हेरफेर का आरोप लगाया है। प्रशासन का जवाब: आरोप निराधार जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी (डीआईपीआरओ) डॉ. मनोज कुमार ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार करार दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरटीआई में दिया गया बजट केवल अनुमानित है। 3,000 मीडियाकर्मियों का उल्लेख गलत है। यह आंकड़ा 3,000 फूड पैकेट से संबंधित है। डॉ. कुमार के अनुसार, रैली में लगभग 300 पत्रकार मौजूद थे, जिनके लिए तीनों समय के भोजन की व्यवस्था की गई थी। उन्होंने कहा, प्रशासन ने कार्यक्रम के बजट में पूरी पारदर्शिता बरती है। सभी आरोप बेबुनियाद हैं।
यमुनानगर में पीएम मोदी के कार्यक्रम के खर्च पर विवाद:आरटीआई एक्टिविस्ट ने लगाए घपले के आरोप, प्रशासन ने किया खंडन
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