यमुनानगर में RTE (राइट टू एजुकेशन) के तहत एक प्राइवेट स्कूल की मनमानी इस कदर हावी है कि शिक्षा के विभाग के आदेशों को भी लगातार दरकिनार किया जा रहा है। तीन दिन पहले ही स्कूल प्रबंधन को जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी के द्वारा लिखित आदेश जारी कर दो दिन के भीतर आरटीई के तहत शॉर्टलिस्ट हुए बच्चों के एडमिशन करने के आदेश जारी किए गए हैं। इन आदेशों के बावजूद भी स्कूल प्रबंधन एडमिशन करने काे तैयार नहीं है। स्कूल प्रबंधन का तर्क है कि यह अल्पसंख्यक विद्यालय है, इसलिए आरटीई का रूल उनके ऊपर लागू नहीं होता। वहीं शिक्षा विभाग का कहना है कि स्कूल के पास अल्पसंख्यक होने का कोई प्रमाण पत्र नहीं है। पेरेंटस करेंगे स्कूल के बाहर धरना प्रदर्शन शिक्षा विभाग की ढीली कार्रवाई और स्कूल प्रबंधन की मनमानी के बीच खामियाजा उन 40 बच्चों को भुगतना पड़ रहा है, जिनके नाम आरटीई के तहत स्कूल में एडमिशन के लिए शॉर्टलिस्ट हुए थे। इन बच्चों के पेरेंटस पहले भी स्कूल प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ जिला शिक्षा सदन के बाहर अर्धनग्न होकर धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। जिला शिक्षा अधिकारी धर्मेंद्र चौधरी ने उन्हें जल्द ही एडमिशन का आश्वासन दिया था, लेकिन स्कूल द्वारा अब भी उनके बच्चों को दाखिला देने से मना किया जा रहा है। इस मामले में पेरेंटस आज स्कूल के आगे धरना देंगे। जिला शिक्षा विभाग पर कार्रवाई न करने का आरोप पेरेंट अंकुश ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा 21 जून को आरटीई के तहत शॉर्टलिस्ट हुए बच्चों की पोर्टल पर ऑनलाइन लिस्ट जारी की गई थी। इसके तहत अपने बच्चे का एडमिशन कराने के लिए वह स्कूल गए थे। वहां पर स्कूल स्टाफ ये कहकर उसके बच्चे का एडमिशन करने से मना कर दिया कि यह स्कूल अल्पसंख्यक संस्थान है, जिसमें आरटीई का नियम लागू नहीं होता है। अंकुश का आरोप है कि शिक्षा विभाग में ऐसा कोई नियम नहीं है, जिसमें अल्पसंख्यक स्कूल में आरटीई अधिनियम लागू न होता हो। अंकुश का कहना है कि शिक्षा विभाग ने साफ तौर पर निर्देश दिए हुए हैं कि जो स्कूल आरटीई के तहत एडमिशन देने से मना करते हैं, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। अंकुश का आरोप है कि शिकायत के बावजूद भी जिला शिक्षा अधिकारी स्कूल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे। देरी व कार्रवाई पर स्कूल उत्तरदायी 28 जुलाई को जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा स्कूल प्रबंधन को आदेश जारी कर कहा गया था कि उनके पास अल्पसंख्यक होने का कोई प्रमाण पत्र मौजूद नहीं है, इसलिए बिना किसी देरी के दो दिन के भीतर आरटीई के तहत शॉर्टलिस्टेड बच्चों को एडमिशन दिया जाए। इस कार्य में देरी व अन्य विभागीय कार्रवाई के लिए वे अपने स्तर पर उत्तरदायी होंगे।
यमुनानगर में प्राइवेट स्कूल की मनमानी:RTE के तहत नहीं दिया एडमिशन, शिक्षा विभाग का आदेश भी नहीं माना, खुद को अल्पसंख्यक बता झाडा पल्ला
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