यमुनानगर के छछरौली के आर्मी में भर्ती होने वाले हवलदार विजेंद्र संधू को उनके पैतृक गांव लेदा खादर में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। सुबह करीब 11 बजे गांव में उनका पार्थिव शरीर पहुंचा तो पूरा क्षेत्र विजेंद्र संधू अमर रहे के नारों से गूंज उठा। जैसे ही सेना का वाहन उनका पार्थिव शरीर लेकर उनके गांव में एंट्री की तो कई युवा सेना के वाहन के साथ-साथ चले। सेना के उच्च अधिकारी के साथ 8 जवानों ने विजेंद्र संधू को सैनिक सम्मान के साथ अंतिम सलामी दी। उनके बाद उनको अंतिम विदाई दी गई। एक महीना पहले छुट्टी पर आए
छछरौली के एसडीएम रोहित कुमार के मुताबिक, विजेंद्र 19 जुलाई को छुट्टी पर घर आए थे। परिजनों को उनकी तबीयत ठीक नहीं लगी तो उसका चैकअप करवाया गया। इसमें उनको काला पीलिया होने की पुष्टि हुई, जिसके बाद उनको इलाज के लिए पंचकुला के कमांड अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालात बिगड़ते देख दिल्ली ले गए
यहां भी हालात बिगड़ते देख परिजन उनको दिल्ली के आरआर अस्पताल में ले गए, जहां सोमवार की दोपहर 3 बजे विजेंद्र ने अंतिम सांस ली। मंगलवार को 11 बजे विजेंद्र का पार्थिव शरीर पैतृक गांव लेदा खादर पहुंचा जिसके बाद उनका सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। साढ़े 17 साल की उम्र में भर्ती हुए विजेंद्र संधू आर्मी की 24-जाट रेजिमेंट में हवलदार के पद पर थे। वे महज साढ़े 17 साल की उम्र में सेना में भर्ती हो गए थे। उन्होंने करीब 15 साल तक सेना में सेवाएं दी। वे अंतिम बार छुट्टी पर आने से पहले अरुणाचल प्रदेश में तैनात थे। पिता भी आर्मी से रिटायर
विजेंद्र संधू के पिता यशपाल सिंह भी सेना में जेसीओ के पद पर सेवाएं देकर रिटायर हुए थे। उसके बाद कुछ साल तक रेलवे में नौकरी की। इस दौरान उनका देहांत हो गया था अब उनकी जगह विजेंद्र संधू का छोटा भाई सचिन संधू रेलवे में कार्यरत है। उनके परिवार में मां अंगूरी देवी, पत्नी मीनाक्षी, बेटी पवित्र, बेटी गुरनूर और भाई सचिन संधू रह हैं।
यमुनानगर में फौजी बेटे विजेंद्र को अंतिम विदाई:17 की उम्र में सेना में भर्ती; पिता भी आर्मी से रिटायर; महीने पहले छुट्टी पर आए
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