यूपी के इस राष्ट्रीय उद्यान में योगी सरकार ने गैंडों की सुरक्षा के लिए उठाया ये बड़ा कदम, इस केंद्र को मिली मंजूरी

by Carbonmedia
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Lakhimpur Kheri News: उत्तर प्रदेश सरकार ने लखीमपुर‑खीरी स्थित दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है. जिसके लिए वन विभाग को दो नये राइनो रिहैब्लिटेशन सेंटर (आरआरसी) बनाने के लिए 1 करोड़ 50 लाख रुपये मिलेंगे. इस धन से गैंडों के लिए सुरक्षित ठिकाने, निगरानी उपकरण, दवाएं और स्थानीय लोगों को जागरूक करने के कार्यक्रम चलाए जाएंगे.
इसके अंदर आरआरसी‑3 और आरआरसी‑4 तैयार होंगे, जहां गैंडे खुले जंगल में रहें, जिन पर टीम चौबीसों घंटे अपनी नजर बनाए रखे. वहीं 1.27 करोड़ रुपये आवास सुधार– घास, जलाशय, कंटीली बाड़ व गश्ती ट्रैक पर खर्च किए जाएगें. इसके अलावा 7 लाख रुपये दवाइयों व ट्रैंक्यूलाइजर के लिए और 7 लाख रुपये निगरानी रखने के लिए कैमरों व GPS कॉलर पर खर्च किए जाएंगे.  इसके साथ ही बाकी के 4.8 लाख बड़े निर्माण और 3 लाख छोटे‑मोटे मरम्मत के कामों पर लगाए जाएगें.
गैंडों की सुरक्षा क्यों जरूरी है?दुधवा में 1984 से गैंडे बसाए जा रहे हैं. अभी करीब 45‑50 एक‑सींग वाले भारतीय गैंडे (ग्रेट इंडियन राइनो) यहाँ रहते हैं. इन्हें शिकारियों और बाढ़ दोनों से खतरा रहता है. पूरे भारत में गैंडों की आबादी लगभग 3,700 है, जिनमें 90% असम और बंगाल में हैं. यूपी का छोटा‑सा झुंड ‘जीन बैंक’ की तरह अहम है, इसलिए बसावट बढ़ाना ज़रूरी है.वन अधिकारी रंगाराजू ने बताया, ‘आरआरसी में घुसपैठ रोकने के लिए सोलर बाड़, नाइट‑विज़न कैमरा और ड्रोन गश्त का भी प्रावधान है.’ साथ ही आस‑पास के गाँवों में ईको‑डेवलपमेंट कमेटी बनेगी. 
वहीं ग्रामीणों को बताया जाएगा कि गैंडे जंगल के पहरेदार हैं जो तालाब गहरी करते हैं, घास के मैदान खुला रखते हैं. संरक्षण से पर्यटन बढ़ेगा, जिससे जीविका के नए साधन मिलेंगे. पिछला अनुभव की बात करें तो दुधवा में 2010‑11 में आरआरसी‑1 और 2 बनने के बाद गैंडों का क्षेत्र 15 किमी² से बढ़ कर 27 किमी² हुआ है. वहीं 2019 में दो गैंडे सीमा पार नेपाल से घुस आए थे, सफल रेस्क्यू के बाद यहीं बस गए. इससे साफ हुआ कि तराई का कॉरीडोर अभी जीवंत है.
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?वन्यजीव प्रोफेसर आर.के. सिंह का मानना है, ‘अगर अगला दशक सुरक्षित रहा तो यूपी की गैंडा आबादी दोगुनी हो सकती है. पर ट्रॉफी के लिए सींग की तस्करी बड़ा ख़तरा है. लगातार निगरानी और स्थानीय साझेदारी ही समाधान है.’ सरकार जुलाई से रेंजर, फॉरेस्ट गार्ड और स्थानीय युवाओं का विशेष प्रशिक्षण शिविर कराएगी, जिसमें ड्रोन उड़ाना, कैमरा ट्रैप डेटा पढ़ना और प्राथमिक उपचार सिखाया जाएगा. लक्ष्य है कि 2026 तक दुधवा के भीतर 50 किमी² सुरक्षित राइनो ज़ोन तैयार हो जाए.
योगी सरकार का यह क़दम न केवल गैंडे की रक्षा करेगा, बल्कि दुधवा की कुल जैव‑विविधता—हाथी, बाघ और दुर्लभ दलदली हिरण—को भी नया सहारा देगा. वन विभाग मानता है कि ‘गैंडा बचेगा तो पूरा तराई बचेगा.’

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